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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य में होने वाले निवेश को और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब जो भी कंपनी निवेश करना चाहती है, उसे आवेदन करते समय ही अपना पैन कार्ड नंबर देना होगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि निवेश के नाम पर किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।

'इन्वेस्ट यूपी' संस्था इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि जब कोई कंपनी निवेश का आवेदन करे, तो संबंधित विभाग समय पर आवश्यक अनुमति और एनओसी जारी करें। इसके लिए उद्यमी मित्रों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जिससे वे प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ सकें और सही निवेश को जमीन पर उतारने में मदद कर सकें।

पिछले कुछ वर्षों में यूपी में निवेश का माहौल सुधरा है, जिसकी वजह से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां निवेश किया है। सरकार ने भी नीतियों में बदलाव कर निवेशकों को कई तरह की छूट दी है, लेकिन इस सकारात्मक माहौल का कुछ फर्जी कंपनियों ने गलत फायदा उठाया।

एक बड़ा मामला ‘व्यू नाउ इंफोटेक’ नामक कंपनी से जुड़ा है। कंपनी ने दावा किया था कि वह प्रदेश के विभिन्न जिलों में 13,500 करोड़ रुपये का निवेश कर 750 डाटा सेंटर खोलेगी। कंपनी ने एमओयू कर लिया और छोटे निवेशकों से डाटा स्टोरेज लीज के नाम पर 3,558 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए। बाद में यह रकम विदेश भेज दी गई। प्रवर्तन निदेशालय ने नोएडा पुलिस की एफआईआर के आधार पर जांच की और फरवरी में दिल्ली एयरपोर्ट से कंपनी के एमडी सुखविंदर सिंह खरोर और उनकी पत्नी डिंपल खरोर को गिरफ्तार कर लिया।

इस तरह के मामलों से सबक लेते हुए अब सरकार निवेश प्रक्रिया को पहले से अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रही है। औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने कहा है कि अब बिना कंपनी के प्रोफाइल की जांच किए कोई एमओयू नहीं किया जाएगा। यह कदम निवेशकों के भरोसे को मजबूत करेगा और यूपी में निवेश की गति को धरातल तक पहुंचाएगा।