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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने आतंकवाद, सीमा तनाव और व्यापार सहित कई वैश्विक और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इस यात्रा के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए, भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि सीमा पर शांति और सद्भाव, संबंधों के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा स्पष्ट रूप से उठाया, जिस पर चीन ने समर्थन का वादा किया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए और सीमाओं पर शांति बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा, दोनों ने बदलती वैश्विक चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

आतंकवाद पर भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति के साथ सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा बहुत स्पष्ट रूप से उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के शिकार रहे हैं और भारत अभी भी इसके खिलाफ लड़ रहा है। उन्होंने इस मुद्दे पर चीन से सहयोग मांगा, जिस पर चीनी पक्ष ने विभिन्न तरीकों से सहयोग देने का वादा किया। यह चर्चा इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक मंच पर आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है।

सीमा पर शांति की आवश्यकता

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमा पर शांति और सद्भाव बनाए रखना संबंधों के समग्र विकास के लिए 'बीमा' की तरह है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सीमा पर स्थिति का दोनों देशों के समग्र संबंधों पर प्रभाव पड़ता है। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चार सुझाव

विदेश सचिव मिसरी ने आगे कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए चार सुझाव दिए। हालाँकि, इन सुझावों का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि स्थिर और सौहार्दपूर्ण भारत-चीन संबंधों से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों को लाभ होगा।

वैश्विक चुनौतियों और आर्थिक स्थिति पर चर्चा

विदेश मंत्रालय (MEA) के एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सिद्धांतों और भविष्य के विकास के लिए अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया। इसके साथ ही, उन्होंने कई वैश्विक मुद्दों और वर्तमान चुनौतियों, विशेष रूप से टैरिफ और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने स्वीकार किया कि दुनिया में हो रहे बदलाव कई चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं और इस परिदृश्य में भारत-चीन संबंधों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर विचार किया।