
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को समाप्त होगा। खास बात यह है कि पहले दिन पूर्णिमा श्राद्ध के साथ ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2025) भी लगेगा, जो भारत में दिखाई देगा। पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध के ये 15 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
पितृसत्ता का क्या महत्व है?
- पितृ पक्ष में पिता धरती पर आते हैं।
- श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से उन्हें शांति और मोक्ष मिलता है।
- यह पितृदोष से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा समय है।
- तर्पण और पिंडदान कब और कैसे करें
- दोपहर (11-1 बजे)
- तिल और जौ से तर्पण करें।
- दक्षिण की ओर मुख करें।
- चावल, तिल और जौ का दान करें।
पितृ दोष के लक्षण और उपचार
- जीवन में अच्छे कर्म करने में आने वाली बाधाएँ
- संतान सुख में देरी की बाधाएं
- पारिवारिक जीवन में संघर्ष
- उपाय- गीता का पाठ, पिंडदान, तर्पण और ब्रह्मभोजन
- पिता का अनुग्रह कैसे प्राप्त करें
- सूर्योदय के बाद जल में तिल डालकर अर्घ्य दें।
- गाय, कुत्ते, कौवे को खाना खिलाएं।
- ब्राह्मणों को ब्राह्मण भोजन परोसना
- भगवद्गीता के 15वें अध्याय का पाठ करें।
किसका श्राद्ध किस दिन किया जाता है?
7 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध
8 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर - द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर - तृतीया श्राद्ध - चतुर्थी श्राद्ध
11 सितंबर - पंचमी श्राद्ध
12 सितंबर - षष्ठी श्राद्ध
13 सितंबर - सप्तमी श्राद्ध
14 सितंबर - अष्टमी श्राद्ध
15 सितंबर - नवमी श्राद्ध
16 सितंबर - दशमी
श्राद्ध 17 सितंबर - एकादशी
श्राद्ध 18 सितंबर - द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर - त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबर - चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबर - सर्व पितृ अमावस्या
22 सितंबर - मातामह नान श्राद्ध
क्या हम चंद्र ग्रहण के दिन श्राद्ध कर सकते हैं?
हां, दोपहर से पहले तर्पण करने की अनुमति है।
पैरेंट पार्टी के दौरान कौन से कार्य नहीं किए जाने चाहिए?
विवाह, गृह प्रवेश, शुभ कार्य, बाल कटवाना, नाखून काटना वर्जित है। पितृ अपराधबोध को कैसे रोकें? पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन सर्वपितृ तर्पण कर पिंडदान करें, गाय और कौओं को भोजन कराएं तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं।