
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देशभर में रक्षाबंधन की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। इस ख़ास मौके पर बाज़ार भी रंग-बिरंगी राखियों से सज जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए खूब खरीदारी भी करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन की परंपरा क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं।

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं। भाई भी अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन की शुरुआत कब हुई? इसका क्या महत्व है?

रक्षाबंधन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन एक कथा महाभारत काल से जुड़ी है। द्रौपदी और भगवान कृष्ण की।

कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल के वध के दौरान सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया तो उनकी उंगली कट गई थी।

जब द्रौपदी ने यह देखा, तो उसने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बाँध दिया। द्रौपदी के इस व्यवहार से भगवान बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन दिया।

भगवान कृष्ण ने द्रौपदी से कहा, “मैं तुम्हें वचन देता हूँ। भविष्य में जब भी तुम्हें मेरी सहायता की आवश्यकता होगी, तुम मुझे याद करोगी। मैं तुम्हारी सहायता के लिए तुरंत उपस्थित हो जाऊँगा।”

मान्यता है कि इसी वचन के कारण जब पूरी सभा में किसी ने द्रौपदी की लाज नहीं बचाई तो उसने कृष्ण को याद किया और भगवान ने तुरंत प्रकट होकर द्रौपदी की लाज बचाई। यह परंपरा तब से चली आ रही है।

रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन 9 अगस्त यानी शनिवार को है। राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक है। इसके बाद पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।