Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रूसी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की ओर से भारी टैरिफ और धमकियों के बावजूद रूस के साथ तेल व्यापार जारी रखने के भारत के फैसले की सराहना की है। रूस ने भारत के इस रुख को दीर्घकालिक मित्रता और उसकी 'रणनीतिक स्वायत्तता' का प्रमाण बताया है। रूसी मंत्रालय ने साफ कहा है कि भारत-रूस संबंधों को नुकसान पहुँचाने की कोई भी कोशिश नाकाम होगी और उनके लिए भारत का ऐसा रुख अपेक्षित था। यह बयान ऐसे समय आया है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाकर संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है।
रूस ने भारत के रुख की सराहना की
रूसी विदेश मंत्रालय ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी के बावजूद रूस के साथ तेल व्यापार जारी रखने के लिए भारत की प्रशंसा की है। रविवार, 14 सितंबर, 2025 को, रूस ने कहा कि वह दबाव और धमकियों के बावजूद रूस के साथ बहुपक्षीय सहयोग जारी रखने और अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए भारत का आभारी है। "सच कहूँ तो, इसके अलावा और कुछ कल्पना करना मुश्किल है," उसने भारत के साथ संबंधों की मज़बूती में अपने दृढ़ विश्वास का संकेत देते हुए कहा।
रूसी मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध गहरे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं और इस प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश करने वालों के सभी प्रयास विफल होंगे।
रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों का महत्व
रूस के अनुसार, रूस के साथ संबंधों के प्रति भारत का दृष्टिकोण 'दीर्घकालिक मित्रता की भावना' और नई दिल्ली की 'अंतर्राष्ट्रीय मामलों में रणनीतिक स्वायत्तता' को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच मित्रता इस विचार पर आधारित है कि प्रत्येक देश की संप्रभुता सर्वोपरि है और उसके अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। रूसी बयान में इस संबंध को 'विश्वसनीय, स्पष्ट रूप से समझी जाने वाली और वास्तव में मज़बूत रणनीतिक साझेदारी' बताया गया है।
भारत का स्पष्ट रुख और उसके कारण
डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार भारत पर रूसी तेल खरीदकर 'यूक्रेन पर रूस के हमले को बढ़ावा देने' का आरोप लगाया है। जवाब में, भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की निंदा की है और उन्हें 'अनुचित' बताया है। भारत ने अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस से की जा रही खरीदारी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिकी टैरिफ के बावजूद चीन और रूस के साथ संबंधों को मज़बूत करने की बात कही थी, जो भारत की आत्मनिर्भर और स्वतंत्र विदेश नीति के रुख को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।




