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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। ट्रंप ने आरोप लगाया है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को हवा दे रहा है। ऐसे में रूस ने भारत का बड़ा साथ दिया है और जवाब में तेल खरीद पर 5% की छूट देने का अहम फैसला लिया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में, रूस ने भारत को तेल खरीद पर 5% की छूट देने का फैसला किया है, जो एक व्यापारिक रहस्य है और बातचीत पर आधारित है। रूस के उप-व्यापार प्रतिनिधि एवगेनी ग्रिवा और मिशन उप-प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने विश्वास व्यक्त किया है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग मजबूत बना रहेगा। अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया है और रूस पर रूसी तेल के ज़रिए रूस को वित्तीय सहायता देने का आरोप लगाया है।

रूस का बड़ा प्रस्ताव

अमेरिकी टैरिफ के जवाब में रूस ने भारत को एक आकर्षक प्रस्ताव दिया है। भारत में रूस के उप-व्यापार प्रतिनिधि एवगेनी ग्रिवा ने कहा, "भारत को रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 5% की छूट मिलेगी, जो बातचीत के आधार पर तय होगी।" ग्रिवा ने ज़ोर देकर कहा कि हालाँकि यह छूट एक व्यापारिक रहस्य है, फिर भी भारत राजनीतिक स्थिति की परवाह किए बिना तेल आयात जारी रख सकेगा।

भारत-रूस संबंधों की मजबूत नींव

रूस के मिशन उप-प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने भी ज़ोर देकर कहा कि परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद, भारत के साथ उनके संबंध अटूट हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अमेरिका के बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग अटूट बना रहेगा।

अमेरिकी आरोप और शुल्क

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। हालाँकि, भारत अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदता रहा। इससे नाराज़ होकर अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगा दिया है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भी भारत पर रूसी तेल के लिए 'वैश्विक क्लियरिंगहाउस' के रूप में काम करने और मॉस्को को डॉलर की आपूर्ति करने का आरोप लगाया।

इस आर्थिक युद्ध में रूस की यह पेशकश भारत के लिए बड़ी राहत है। इससे न सिर्फ़ भारत-रूस संबंध मज़बूत होंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति भी और स्पष्ट होगी।