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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आकाशीय बिजली यानी बिजली गिरने की घटनाएं देश में हर साल सैकड़ों जानें लेती हैं। खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग इस खतरे से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसे देखते हुए सरकार अब एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। जल्द ही लाइटनिंग सेफ्टी कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी, जिससे लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके और जान-माल की हानि को रोका जा सके।

क्या है लाइटनिंग सेफ्टी कार्यक्रम?

सरकार इस कार्यक्रम के तहत राज्य के हर जिले में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (Emergency Operation Centres) को और मजबूत बनाएगी। इन केंद्रों से जनता को तुरंत चेतावनी दी जाएगी, जब बिजली गिरने का खतरा होगा। इसका मुख्य उद्देश्य है – जागरूकता फैलाना और त्वरित सूचना देना।

बिजली पहचान की अत्याधुनिक प्रणाली

सबसे अहम बात यह है कि सरकार आगमन समय प्रौद्योगिकी (Early Arrival Technology) पर आधारित नई बिजली पहचान प्रणाली लगाने जा रही है। यह तकनीक किसी भी विशेष क्षेत्र में बिजली गिरने की संभावना के बारे में 30 मिनट पहले ही अलर्ट दे सकती है। इससे बचाव के उपाय करने का समय मिल जाएगा।

लोगों को जागरूक करना है मुख्य उद्देश्य

लाइटनिंग सेफ्टी कार्यक्रम के अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि लोग सुरक्षित जगहों पर जाएं और खतरे के समय खिड़की, दरवाजे, पेड़, मोबाइल टावर, बिजली के खंभे और पानी के स्रोतों से दूर रहें। इसके लिए खासकर गांवों में अभियान चलाकर जन जागरूकता फैलाई जाएगी।

मोबाइल एप्स से मिल सकती है मदद

आजकल मोबाइल एक अहम सुरक्षा उपकरण बन चुका है। मौसम के पूर्वानुमान और अलर्ट पाने के लिए सरकार दामिनी (Damini) और सचेत (Sachet) जैसे मोबाइल ऐप्स को डाउनलोड करने की सलाह दे रही है। ये ऐप्स बिजली गिरने की आशंका होने पर पहले से चेतावनी दे सकते हैं।