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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : वानिकी प्रशिक्षण संस्थान, हल्द्वानी (नैनीताल) से जुड़े चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी मामले में एक और न्यायाधीश ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवींद्र मैठाणी ने अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

संजीव चतुर्वेदी की याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सदस्यों और रजिस्ट्री पर उनके स्थगन आदेश की जानबूझकर अवहेलना का आरोप लगाया गया था।

अब तक 15 न्यायाधीश अलग हो चुके हैं

संजीव के मामले में अब तक देश के 15 न्यायाधीशों ने खुद को सुनवाई से अलग किया है। इस साल यह चौथी बार है जब संजीव के मामले में न्यायाधीशों ने रिक्यूजल लिया।

फरवरी 2025 में, कैट के दो न्यायाधीश हरविंदर ओबेरॉय और बी. आनंद ने सुनवाई से खुद को अलग किया।

अप्रैल 2025 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा कुशवाहा ने भी सुनवाई से अलग होने का निर्णय लिया।

2018 में संजीव की याचिका पर आदेश आया था कि उनके सेवा मामले की सुनवाई कैट की नैनीताल सर्किट बेंच में हो और केंद्र सरकार पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश बरकरार रखा।

2021 में हाई कोर्ट ने अपने पहले के रुख को दोहराया, जबकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इसे बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया।

इतिहास में भी कई बार न्यायाधीशों ने लिया अलग होने का फैसला

नवंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने इस मामले से खुद को अलग किया।

अगस्त 2016 में न्यायमूर्ति यूयू ललित ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

अप्रैल 2018 में शिमला की एक अदालत के न्यायाधीश ने हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विनीत चौधरी की ओर से दायर मानहानि मामले में खुद को अलग किया।

मार्च 2019 में कैट के तत्कालीन चेयरमैन एन. रेड्डी ने स्थानांतरण याचिकाओं से संबंधित मामले से खुद को अलग किया।

फरवरी 2021 में कैट दिल्ली के न्यायमूर्ति आर. एन. सिंह ने भी सेवा संबंधी मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया।

मई 2023 में नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश और नवंबर 2023 में कैट की खंडपीठ ने भी सुनवाई से अलग होने का फैसला लिया।

जनवरी 2025 में कैट के न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने भी सेवा संबंधी मामले से खुद को अलग किया।

संजीव चतुर्वेदी का मामला न्यायिक इतिहास में अनूठा है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर न्यायाधीशों द्वारा खुद को अलग करने का रिकॉर्ड किसी और मामले में नहीं है।