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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय अंतरिक्ष यात्री और वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभाशु शुक्ला की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर वापसी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। नासा ने बताया है कि उनके अंतरिक्ष यान का हैच 14 जुलाई को दोपहर 2:50 बजे (भारतीय समयानुसार) बंद हो जाएगा और शाम 4:35 बजे आईएसएस से अनडॉकिंग होगी। लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद, 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे कैलिफ़ोर्निया तट के पास स्पलैशडाउन होने की उम्मीद है।

शुभांशु शुक्ला ने क्या कहा? 
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने 18 दिनों के प्रवास का समापन किया और कहा कि अंतरिक्ष से भारत महत्वाकांक्षा, निडरता, आत्मविश्वास और गर्व से भरा हुआ दिखता है। शुक्ला ने 1984 में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के शब्दों को दोहराते हुए कहा, "आज भी भारत से 'सारे जहाँ से अच्छा' दिखाई देता है।" उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 'एक्सिओम-4' मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आयोजित एक विदाई समारोह में यह टिप्पणी की।

यह जादुई लगता है! - शुभांशु शुक्ला 
आईएसएस पर अपने प्रवास का जिक्र करते हुए शुक्ला ने कहा, ‘यह मेरे लिए जादुई लगता है... यह मेरे लिए एक अद्भुत यात्रा रही है।’ शुक्ला 26 जून को आईएसएस पहुंचे थे।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि वह अपने साथ कई यादें और सबक लेकर जा रहे हैं, जिन्हें वह अपने देशवासियों के साथ साझा करेंगे। आईएसएस पर 18 दिनों के गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद, शुभांशु शुक्ला और 'एक्सिओम-4' मिशन के अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को विदाई देने का समय आ गया है और वे सोमवार को पृथ्वी की ओर वापसी की अपनी यात्रा शुरू करेंगे।

एक्सिओम-4 मिशन के सोमवार को आईएसएस से अलग होकर मंगलवार को कैलिफ़ोर्निया तट पर उतरने की उम्मीद है। मिशन पायलट शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री - कमांडर पैगी व्हिटसन, मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और पोलैंड व हंगरी के टिबोर कापू - 'एक्सिओम-4 मिशन' के तहत अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचे।

शुभांशु ने विदाई समारोह में क्या कहा? 
शुक्ला ने विदाई समारोह में भारत की भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा के लिए गर्व, कृतज्ञता और आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "यह एक अद्भुत यात्रा रही है। अब यह यात्रा समाप्त हो रही है। लेकिन मानव अंतरिक्ष उड़ान की हमारी यात्रा बहुत लंबी है। यह कठिन भी है।" उन्होंने एक संस्कृत वाक्यांश साझा करते हुए कहा, "लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि अगर हम ठान लें, तो तारों को भी प्राप्त किया जा सकता है (तार अपि प्रप्यन्ते)।

राकेश शर्मा को याद करते हुए
शुक्ला ने कहा कि 41 साल पहले एक भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी और बताया था कि वहाँ से भारत कैसा दिखता है। शुक्ला ने कहा, "आज भी हम सभी यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि ऊपर से भारत कैसा दिखता है। आज का भारत महत्वाकांक्षी दिखता है। आज का भारत निडर दिखता है, आज का भारत आत्मविश्वास से भरा दिखता है। आज का भारत गौरवान्वित दिखता है।"

'सारे जहाँ से अच्छा' 
इन्हीं सब वजहों से मैं एक बार फिर कह सकता हूँ कि आज का भारत आज भी 'सारे जहाँ से अच्छा' जैसा लगता है। जल्द ही धरती पर मिलते हैं।" शुक्ला ने इस मिशन को संभव बनाने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

अपने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद लोगों ने इसे अद्भुत बना दिया है। आप जैसे पेशेवरों के साथ काम करना मेरे लिए खुशी की बात थी।"