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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : चंपावत जिले में आवारा कुत्तों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। अप्रैल 2024 से जून 2025 के बीच सिर्फ 16 महीनों में 7,718 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हुए हैं, जिनमें से लगभग 85% मामले आवारा कुत्तों से जुड़े हैं। जिले में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर की अनुपस्थिति इस संकट को और गंभीर बना रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में आवारा कुत्तों के आतंक पर काबू पाने की कोशिश हुई, अब चंपावत के लोग भी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग भी जोर पकड़ रही है, लेकिन जिले में इसका पालन मुश्किल से हो रहा है।

2025 के अप्रैल में 856, मई में 942 और जून में 1,028 लोग कुत्तों के काटने से घायल हुए। लोहाघाट और टनकपुर के उप जिला अस्पतालों में भी सैकड़ों मामले दर्ज हो चुके हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेश चौहान के मुताबिक, सभी प्रमुख अस्पतालों में एंटी वेनम और एंटी रैबीज इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य होने के बावजूद पालन नहीं हो रहा। एबीसी सेंटर न होने से बधियाकरण कार्य भी ठप पड़ा है। पीड़ित कैलाश विश्वकर्मा, दीपक सिंह, हरीश चंद्र जोशी, कंचना देवी और अनीता भट्ट ने प्रशासन से जल्द बधियाकरण शुरू करने की मांग की है।

पशुपालकों का कहना है कि आवारा कुत्ते न सिर्फ इंसानों को, बल्कि मवेशियों को भी निशाना बना रहे हैं। लोहाघाट, टनकपुर और बनबसा में झुंड बनाकर गोवंश पर हमले आम हो गए हैं।

पशुपालन विभाग ने एंटी रैबीज टीकाकरण अभियान शुरू किया है और अब तक टनकपुर व बनबसा में 20 कुत्तों को टीका लगाया जा चुका है। हालांकि, कुत्तों का ब्रीडिंग सीजन होने से इसमें दिक्कतें आ रही हैं। एबीसी सेंटर के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन जमीन की ऊंची कीमत के कारण निर्माण में देरी हो रही है।