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Prabhat Vaibhav, Digital Desk: तेजस्वी यादव ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर आरक्षण सीमा को 85 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। सोमवार को उन्होंने इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या नीतीश कुमार ने जानबूझकर पत्र का जवाब नहीं दिया, या फिर वे इस मुद्दे पर कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं हैं। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या नीतीश को अधिकारी पत्र दिखाते ही नहीं हैं या फिर वे आदतन ऐसे गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज कर देते हैं?

तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि जब वे सत्ता में थे, तब ही बिहार में आरक्षण सीमा को 65 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जिन दलों की वजह से केंद्र में मोदी सरकार टिकी हुई है, वे इस बढ़े हुए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराने में विफल क्यों हैं?

उन्होंने नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से अपील की कि वे अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग के हकों के लिए खुलकर सामने आएं। तेजस्वी ने कहा कि सिर्फ सत्ता की कुर्सी से चिपके रहने से राजनीति का कोई मतलब नहीं बनता।

तेजस्वी ने स्पष्ट कहा कि अगर इन नेताओं में इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस छोटे से मुद्दे पर बात कर सकें, तो ऐसे गठबंधन में बने रहने पर उन्हें शर्म आनी चाहिए। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि विशेष सत्र बुलाया जाए, तो वे दिखा देंगे कि इसे कैसे लागू कराया जाता है।