Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड का चकराता इलाका अपनी अनछुई प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके कई मनमोहक पर्यटन स्थल अब भी सैलानियों की नजरों से दूर हैं। यहां के मखमली घास से ढके बुग्याल और झरने आज भी प्रकृति प्रेमियों को बुला रहे हैं। हाल की बारिशों ने इन बुग्यालों की सुंदरता को और निखार दिया है।
मोइला बुग्याल, जो पहले से ही प्रसिद्ध है, इस समय बेहद आकर्षक रूप में नजर आ रहा है। हरियाली से आच्छादित मैदान किसी स्विट्जरलैंड की याद दिलाते हैं। इसके अलावा सेट सरस्वती और मीनाहार बुग्याल जैसे कई स्थल ऐसे हैं, जिनकी खूबसूरती अब तक अधिकतर पर्यटकों की नजरों से ओझल है।
चकराता के झरनों की बात करें तो हर कोई टाइगर फॉल के बारे में जानता है, लेकिन बहुत कम लोग इन्द्रौली फॉल या कीमोना फॉल का नाम सुनते हैं। इन्द्रौली फॉल ऊंचाई से गिरता हुआ पानी का ऐसा झरना है, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाए, फिर भी यह गुमनाम है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि चकराता का शांत वातावरण, स्वच्छ हवा और प्रदूषण मुक्त माहौल हर सैलानी को सुकून देता है। यहां के शंकुधारी वन, बुग्याल और झरने इस जगह को एक अलग पहचान देते हैं।
फिर भी, कई खूबसूरत स्थल ऐसे हैं जिनका न तो पर्यटन विभाग ने प्रचार किया है और न ही कोई बुनियादी सुविधाएं विकसित की गई हैं। सार्वजनिक शौचालय, पार्किंग, और सूचना केंद्रों की कमी के कारण कई पर्यटक यहां रुकने से हिचकिचाते हैं।
अगर इन जगहों को सही तरीके से विकसित किया जाए, तो चकराता को साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभारा जा सकता है। यहां ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और माउंटेन एडवेंचर जैसी गतिविधियाँ स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का जरिया बन सकती हैं।
प्रकृति ने चकराता को सब कुछ दिया है, अब जरूरत है कि पर्यटन विभाग और स्थानीय समुदाय मिलकर इसे देश-विदेश के सैलानियों तक पहुँचाएँ, ताकि यहां की सुंदरता और स्थानीय जीवन दोनों को नई पहचान मिल सके।




