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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में स्वच्छता और कचरा प्रबंधन को लेकर एक शांत लेकिन बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य के दस नगर निकायों में किए गए बेहतर कार्यों को मान्यता देते हुए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने एक विशेष बुकलेट जारी की है। इसमें बताया गया है कि किस तरह पहाड़ी क्षेत्रों में कचरे को बोझ समझने की सोच से आगे बढ़कर उसे उपयोगी संसाधन में बदला जा रहा है।

रुद्रपुर और मसूरी बने नए मॉडल

बुकलेट में रुद्रपुर और मसूरी जैसे शहरों के उदाहरण खास तौर पर शामिल किए गए हैं। रुद्रपुर में स्थापित 50 टीपीडी कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट रोजाना आने वाले कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण कर रहा है। इससे हर महीने करीब 34 हजार घन मीटर बायोगैस, बिजली और जैविक खाद तैयार हो रही है।

वहीं, पर्यटन दबाव झेलने वाले मसूरी में आठ टीपीडी बायो-मीथनेशन प्लांट के जरिए गीले कचरे को ऊर्जा में बदला जा रहा है। ये दोनों मॉडल दिखाते हैं कि सही योजना और तकनीक से नगर निकाय स्वच्छता के साथ पर्यावरणीय संतुलन भी बना सकते हैं।

बच्चों से लेकर समुदाय तक बदली सोच

इस बुकलेट में वेस्ट वॉरियर्स के ग्रीन गुरुकुल कार्यक्रम की सफलता भी दर्ज है। इसके तहत अब तक 100 से ज्यादा स्कूलों में 40 हजार से अधिक छात्रों को कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग की व्यवहारिक शिक्षा दी जा चुकी है।

छोटे नगरों की बड़ी पहल

छोटी नगर पंचायत कीर्तिनगर भी एक मिसाल बनकर उभरी है। यहां महज सात महीनों में आधुनिक कचरा प्रसंस्करण केंद्र तैयार कर रोजाना करीब पांच टन कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है।

जोशीमठ में संचालित मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी ने यह साबित किया है कि समुदाय की भागीदारी से भी ठोस कचरा प्रबंधन सफल हो सकता है।

डंपसाइट से हरियाली तक का सफर

रुद्रपुर का पुराना डंपसाइट, जहां कभी करीब दो लाख मीट्रिक टन कचरा जमा था, अब बायोमाइनिंग और वैज्ञानिक उपचार के बाद हरियाली में बदल चुका है। यह उदाहरण बताता है कि पुराने कचरा संकट को भी सही तकनीक से बदला जा सकता है।

बागेश्वर में सखी महिला समूह ने घर-घर कचरा संग्रह, लोगों को जागरूक करने और कचरा अलग-अलग करने की आदत डालने में अहम भूमिका निभाई है।

देहरादून और हल्द्वानी में महिला शक्ति

देहरादून का नथुवावाला सैनिटेशन पार्क स्वच्छता के साथ सामुदायिक सहभागिता का अनूठा उदाहरण बन गया है। यहां आधुनिक कचरा प्रबंधन के साथ बच्चों के लिए खेल का मैदान भी विकसित किया गया है, जिससे स्वच्छता को सेवा के रूप में अपनाया गया है।

हल्द्वानी में बैनी सेना ने महिलाओं की भागीदारी को प्रशासनिक मजबूती में बदला। महिलाओं ने घर-घर कचरा संग्रह, शिकायत निवारण और प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर जागरूकता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई।

केदारनाथ में प्लास्टिक पर सख्ती

केदारनाथ में प्लास्टिक कचरे पर रोक लगाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम लागू किया गया है। क्यूआर कोड आधारित इस व्यवस्था के तहत यात्री बोतल लौटाते ही तुरंत रिफंड पा रहे हैं, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है।