
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि इस साल भारत में सर्दी सामान्य से पहले और ज़्यादा कड़ाके की होगी, जिसके संकेत दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तरी मैदानी इलाकों में सुबह-सुबह ठंड के रूप में महसूस किए जा रहे हैं। इस बदलाव की मुख्य वजह मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में विकसित हो रही 'ला नीना' स्थिति है। ला नीना एक जलवायु परिघटना है जो वैश्विक मौसम प्रणाली को प्रभावित करती है और भारत के पूर्वी हिस्से में ठंडक और बारिश में वृद्धि ला सकती है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप उत्तर भारत में शीत लहरें और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी बढ़ने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अक्टूबर में सामान्य से 115% अधिक बारिश होने का भी अनुमान लगाया है, जिससे तापमान में और गिरावट आएगी।
पहाड़ों पर बर्फबारी का असर: मैदानी इलाकों में सर्दी का जल्द आगमन
दिल्ली और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को अब सुबह-सुबह अच्छी-खासी ठंड का एहसास होने लगा है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के ऊँचाई वाले इलाकों में सुबह से ही बर्फबारी शुरू हो गई है, जिसका सीधा असर उत्तरी मैदानी इलाकों के तापमान पर पड़ रहा है। पिछले हफ़्ते श्रीनगर में तय समय से पहले बर्फबारी हुई और जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों में भी बारिश हुई, जिससे हवा में ठंडक बढ़ गई है।
मौसम विज्ञानी इस शुरुआती ठंड और आगामी कड़ाके की सर्दी के रुझान का मुख्य कारण 'ला नीना' की स्थिति को मान रहे हैं, जिसने इस बार भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु पर अपना प्रभाव जल्दी डालना शुरू कर दिया है।
भारत में जल्दी सर्दी का कारण: ला नीना प्रभाव
ला नीना, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) नामक एक वैश्विक जलवायु परिघटना का एक ठंडा चरण है। ENSO प्रशांत महासागर के समुद्री सतह के तापमान और वायुमंडलीय परिसंचरण को प्रभावित करता है, जिससे वैश्विक स्तर पर मौसम के पैटर्न प्रभावित होते हैं।
ला नीना प्रक्रिया:
- ला नीना चरण के दौरान, प्रशांत महासागर में हवाएं सामान्य से अधिक तेज हो जाती हैं, जिससे गर्म पानी पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर बढ़ जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप, विश्व का पूर्वी भाग, जहां भारत स्थित है, अधिक ठंडा हो जाता है।
- इस स्थिति के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा में वृद्धि होती है और परिणामस्वरूप तापमान में उल्लेखनीय गिरावट आती है।
आईएमडी के विशेषज्ञों का मानना है कि ला नीना के इस प्रभाव से भारत के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत में, कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। इसका सीधा सा मतलब है कि पहाड़ी इलाकों में शीतलहर और बर्फबारी बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अक्टूबर में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से लगभग 115% अधिक (75.4 मिमी) बारिश होने का अनुमान लगाया है, जिससे ठंड का प्रकोप और बढ़ेगा।