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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : शास्त्रों में त्रिपिंडी श्राद्ध को विशेष महत्व दिया गया है और इसे करने के लिए पितृ पक्ष का समय सबसे उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि त्रिपिंडी श्राद्ध करने से तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। अगर परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो यह श्राद्ध जरूर करना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार त्रिपिंडी श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध कब करें, तो आपको बता दें कि आप इस दौरान किसी भी दिन यह श्राद्ध कर सकते हैं। अब आपको बताते हैं कि त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है, इसके नियम क्या हैं और इस श्राद्ध को करने में कितना खर्च आता है।

त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है?

शास्त्रों में त्रिपिंडी श्राद्ध को विशेष महत्व दिया गया है और इसे करने के लिए पितृ पक्ष का समय सबसे उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि त्रिपिंडी श्राद्ध करने से तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। अगर परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो यह श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। वैसे यह भी कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार त्रिपिंडी श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध कब करें, तो आपको बता दें कि आप इस दौरान किसी भी दिन यह श्राद्ध कर सकते हैं। अब आपको बताते हैं कि त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है, इसके नियम क्या हैं और इस श्राद्ध को करने में कितना खर्च आता है।

पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध कब करें?

पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन अगर इस श्राद्ध को करने की विशेष तिथियों की बात करें तो आप पितृ पक्ष की अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों पर यह श्राद्ध कर सकते हैं।

त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए सामग्री की सूची

सोने, चांदी और तांबे से बनी तीन देवताओं की मूर्तियाँ

पिंडदान के लिए जौ, चावल के गोले, काले तिल,

आसन, धूपबत्ती, नाश्ता, गंगाजल, गाय का दूध, पंच रत्न,

मिठाई, पंचमेव, रुई की बत्ती, माचिस, कपूर, अगरबत्ती, घंटी, शंख,

हवन, खीर, देसी घी, तांबे के धातु से बने 3 कलश,

सुपारी, चावल, गेहूं, हल्दी, सिंदूर, गुलाब, नारियल,

लोटा, हल्दी पाउडर, फूल, पान के पत्ते, उड़द, मूंग, उड़द,

शहद, कुमकुम, रोली, लौंग, जनोई, रुद्राक्ष की माला, चीनी, गुड़,

तुलसी के पत्ते, इलायची, केला।

त्रिपिंडी श्राद्ध के लाभ

त्रिपिंडी श्राद्ध करने से तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा, यह श्राद्ध पितृ दोष के हानिकारक प्रभावों से भी मुक्ति दिलाता है। इस श्राद्ध को करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान

त्रिपिंडी श्राद्ध किसी जानकार पंडित से ही करवाना चाहिए, तभी इसका फल मिलता है। इस श्राद्ध में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव की पूजा की जाती है। इस श्राद्ध में भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। सभी दुखों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और संतापों से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है।

त्रिपिंडी श्राद्ध किसे करना चाहिए?

यह श्राद्ध अविवाहित और विवाहित दोनों ही कर सकते हैं। लेकिन अविवाहित महिलाएँ यह श्राद्ध नहीं कर सकतीं। त्रिपिंडी श्राद्ध करते समय पुरुषों को सफ़ेद कुर्ता और धोती और महिलाओं को सफ़ेद या हल्के रंग की साड़ी पहननी चाहिए। काले कपड़े भूलकर भी नहीं पहनने चाहिए।