
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत में रहने वाले लोगों के पास कई दस्तावेज़ होने ज़रूरी हैं। रोज़ाना कई कामों के लिए इन दस्तावेज़ों की ज़रूरत पड़ती है। इनके बिना कई काम अटक जाते हैं। इनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर कार्ड जैसे दस्तावेज़ शामिल हैं। अगर आपकी उम्र 18 साल से ज़्यादा है, तो आप इस दस्तावेज़ के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके बिना आपको वोट देने का अधिकार नहीं मिलता। इसके अलावा, यह एक ज़रूरी पहचान पत्र भी है।

लेकिन इस संबंध में कुछ नियम निर्धारित हैं। भारत में सभी लोगों के पास केवल एक ही मतदाता पहचान पत्र हो सकता है। अगर किसी के पास दो मतदाता पहचान पत्र हैं या वह दूसरा बनवाने की सोच रहा है, तो ऐसा करना कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है।

बहुत से लोग मानते हैं कि अलग-अलग पते या राज्यों में वोटर कार्ड होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन ऐसा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, एक नागरिक का नाम केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में होना चाहिए।

दो नाम या दो कार्ड रखना धोखाधड़ी माना जाता है। इससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। ऐसा करने पर बीएनएस की धारा 182 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 और 31 के तहत सज़ा हो सकती है। दोषी पाए जाने पर एक महीने से लेकर 5 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

कई बार अलग-अलग शहरों में रहने वाले लोग नए वोटर कार्ड तो बनवा लेते हैं, लेकिन पुराने कार्ड को रद्द नहीं कराते। आगे चलकर यही गलती उन्हें भारी पड़ सकती है। अगर गलती से या जानकारी के अभाव में आपके दो कार्ड बन गए हैं, तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। आप फॉर्म 7 भरकर पुराने वोटर कार्ड को रद्द करा सकते हैं।

फॉर्म 7 भरते समय आपको यह बताना होगा कि आप कौन सा कार्ड रद्द करना चाहते हैं और क्यों। इसके साथ ही, आपको ज़रूरी दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे। प्रक्रिया पूरी होने पर, रिकॉर्ड अपडेट हो जाएगा और आपके पास केवल एक ही वैध कार्ड रहेगा।