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उत्तर प्रदेश : प्रचंड गर्मी, बिजली कटौती, परेशान जनता, सड़कों पर बवाल

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पड़ रही प्रचंड गर्मी के साथ बिजली कटौती ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बिजली कटौती के खिलाफ राजधानी समेत सूबे के विभिन्न शहरों से प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं। शहरी इलाके में दबाव के चलते रात में बिजली कटौती हो रही है। स्थानीय फॉल्ट ने उपभोक्ताओं को अलग से परेशान कर रखा है। बिजली अभियंताओं का कहना है कि अधिक लोड होने की वजह से यह समस्या आ रही है।

प्रदेश में इन दिनों बिजली का मांग में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है। मंगलवार को पीक ऑवर में मांग 29261 मेगावाट पर पहुंच गई।इन हालातों में बिजली अभियंताओं के सामने बिजली आपूर्ति को बनाये रखना मुश्किल साबित हो रहा है। यूपी पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डाॅ. आशीष कुमार गोयल नें प्रदेश के सभी प्रबंध निदेशकों एवं मुख्य अभियंताओं को आम जनता को उनकी मांग के अनुसार बिजली उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। डाॅ. आशीष कुमार गोयल हर दिन मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल, पूर्वांचल एवं केस्को के अधिकारियों से क्षेत्रवार जानकारी ले रहे हैं।

बताते चलें कि राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में रात्रिकालीन कटौती की वजह से लगातार बवाल हो रहा है। जौनपुर, रायबरेली, देवरिया, औरैया, इटावा, बांदा, बुलंदशहर सहित अन्य जिलों में भी उपभोक्ताओं के सड़क पर उतरने की सूचना मिल रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि वे नियमित बिजली बिल भुगतान कर रहे हैं। इसके बाद भी उमसभरी गर्मी में बिजली कटौती से बेहाल हैं।

बिजली अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने बिजली कटौती को लेकर कहा कि गर्मी में विद्युत आपूर्ति के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन मांग बढ़ेगी। ऐसे में ऊर्जा निगम प्रबंधन के नेतृत्व में उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन एवं वितरण निगमों में समस्त अभियंताओं को एकजुट होकर तत्परता दिखानी होगी। अभियंताओं को सतर्क रहना होगा।

वहीँ उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ज्यादातर जिलों में बिजली कटौती जारी है। इसकी प्रमुख वजह पिछले दो साल में 89596 किलोमीटर में लगे घटिया किस्म के बंच कंडक्टर हैं। इनकी गुणवत्ता अच्छी हो तो बिजली चोरी और विद्युत दुर्घटना पर अंकुश लग सकता है। अवधेश कुमार वर्मा ने अंडरग्राउंड केबिल की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार ने बिजली उपभोक्ताओं को कहीं का नहीं छोड़ा है। 

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