
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक नया दौर शुरू हो गया है। प्रदेश के नवनियुक्त मुख्य सचिव श्री एसपी गोयल ने शुक्रवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात महज एक औपचारिकता से कहीं बढ़कर, प्रदेश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है। करीब आधा घंटे तक राजभवन में रहे मुख्य सचिव गोयल, जिसमें से लगभग दस मिनट तक उन्होंने राज्यपाल के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की। इस मुलाकात के बाद यह साफ हो गया है कि प्रदेश की शासन व्यवस्था अब एक अनुभवी और धैर्यवान अधिकारी के हाथों में है।
एसपी गोयल ने गुरुवार शाम को लगभग 6:30 बजे पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से उत्तर प्रदेश के 56वें मुख्य सचिव का कार्यभार ग्रहण किया। लोकभवन में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, एसपी गोयल ने देर शाम मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकातें प्रशासनिक संक्रमण के एक सहज और सुचारू तरीके को दर्शाती हैं, जो प्रदेश की व्यवस्था को स्थिर रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अद्भुत करियर का सफर: धैर्य और अनुभव का दूसरा नाम एसपी गोयल!
1989 बैच के एक प्रतिष्ठित और धैर्यवान आईएएस अधिकारी के रूप में पहचाने जाने वाले एसपी गोयल का करियर शानदार उपलब्धियों से भरा रहा है। उनकी पहचान प्रदेश के वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक के रूप में होती है। वह करीब आठ वर्षों से अधिक समय से मुख्यमंत्री कार्यालय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह उनकी विश्वसनीयता और कार्यशैली का प्रमाण है कि 2017 में भाजपा सरकार बनने के तुरंत बाद, उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव बनाया गया था। इसके बाद, अपर मुख्य सचिव के पद पर पदोन्नति होने के बावजूद, उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी जिम्मेदारी बरकरार रखी। उनकी यह निरंतरता दर्शाती है कि वह मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं और उन्हें प्रदेश की जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ है।
मनोज कुमार सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद, एसपी गोयल स्वाभाविक रूप से प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बन गए थे, और उनके अनुभव व योग्यता को देखते हुए उन्हें मुख्य सचिव का महत्वपूर्ण पद सौंप दिया गया। मूल रूप से लखनऊ के निवासी, एसपी गोयल का जन्म 20 जनवरी 1967 को हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा बीएससी (ऑनर्स) और एमसीए पूरी की, जिसके बाद 1989 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में हुआ।
जमीन से जुड़े अधिकारी: उत्तर प्रदेश के हर कोने का अनुभव!
एसपी गोयल ने अपने करियर की शुरुआत इटावा में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के रूप में की थी। इसके बाद, उन्होंने बहराइच और अलीगढ़ जैसे महत्वपूर्ण जिलों में सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) के रूप में कार्य किया। उनके अनुभव का दायरा यहीं तक सीमित नहीं रहा। वह देवरिया, मथुरा, इटावा, प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद), और अलीगढ़ जैसे कई जिलों के जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। जिला स्तर पर उनकी मजबूत पकड़ और जनता से सीधा जुड़ाव उनकी प्रशासनिक क्षमताओं का परिचायक है।
राज्य स्तर पर भी उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर संभाली है। उन्होंने नियोजन, सिंचाई, और कार्यक्रम क्रियान्वयन जैसे महत्वपूर्ण विभागों के सचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। इसके अतिरिक्त, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं देने का अनुभव है। अक्तूबर 2014 से मई 2017 तक, वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर मानव संसाधन विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी के रूप में तैनात रहे, जिससे उनके पास केंद्र और राज्य दोनों स्तरों की नीतियों और प्रशासन की गहरी समझ है।
एसपी गोयल की नियुक्ति से यह उम्मीद लगाई जा रही है कि उनके अनुभव और मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ उनकी पूर्व समझ प्रदेश के विकास को नई गति देगी। उनका धैर्यवान स्वभाव और जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव उन्हें इस सर्वोच्च प्रशासनिक पद के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश प्रशासन किस नई दिशा में आगे बढ़ता है।