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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या अब चीन पर भी ऐसे ही कदम उठाए जाएँगे? इस सवाल के जवाब में, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट किया है कि भारत और चीन के साथ अमेरिका के संबंध अलग-अलग हैं और चीन पर टैरिफ लगाने पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अमेरिका और चीन के संबंध बेहद जटिल हैं और इसमें रूस के अलावा कई अन्य कारक भी शामिल हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर कुल 50% टैरिफ लगा दिया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। इस कदम के बाद, यह सवाल उठने लगे थे कि क्या चीन पर भी इसी तरह का टैरिफ लगाया जाएगा। हालाँकि, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप अभी इस बारे में विचार कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच संबंध जटिल हैं और उन्होंने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन पर 30% टैरिफ पहले ही लगाया जा चुका है।

भारत पर टैरिफ का बोझ

अमेरिका ने शुरुआत में रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25% टैरिफ लगाया था। लेकिन, कुछ समय बाद, ट्रंप ने भारत पर 25% का और टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो 27 अगस्त, 2025 से लागू होगा। इसके साथ ही, भारत पर कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है, जो अन्य अमेरिकी सहयोगी देशों की तुलना में सबसे अधिक है।

उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस का स्पष्टीकरण

रविवार को फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, जब उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस से चीन पर टैरिफ लगाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा:

  • जटिल संबंध: उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध बहुत जटिल हैं।
  • अंतिम निर्णय नहीं: उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अभी भी इस बारे में सोच रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।
  • अन्य कारक: वेंस ने कहा कि चीन के साथ अमेरिका के संबंधों में रूस के अलावा कई अन्य मुद्दे भी शामिल हैं, जिन पर निर्णय लेने से पहले विचार करने की आवश्यकता है।

हालाँकि, ट्रंप पहले ही चीन पर 30% टैरिफ लगा चुके हैं। इन बयानों से साफ़ है कि अमेरिका, चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर भारत से अलग रुख़ अपना रहा है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थशास्त्र के जानकारों का मानना है कि अमेरिका चीन को पूरी तरह से नाराज़ करने से इसलिए बच रहा है क्योंकि चीन के साथ उसके आर्थिक संबंध बहुत व्यापक हैं।