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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर 10 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भव्य एकता यात्रा (पदयात्रा) निकाली जाएगी। इस ऐतिहासिक यात्रा को लेकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है। इसे यादगार बनाने के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं।

बैठक में बनी रणनीति

शुक्रवार को यात्रा की तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य डॉ. धर्मेंद्र सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। बैठक में महानगर पदाधिकारी, विभिन्न मोर्चों के अध्यक्ष और पार्षदों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
सभी ने संकल्प लिया कि यात्रा को भव्यता, अनुशासन और जनसहभागिता के साथ संपन्न कराया जाएगा ताकि सरदार पटेल के एकता और राष्ट्रनिर्माण के संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके।

यात्रा का रूट और कार्यक्रम

बैठक में तय किया गया कि यात्रा का शुभारंभ नगर निगम परिसर से होगा।

  • रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण से कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।
  • इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसमूह को संबोधित करेंगे और सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ का गायन होगा।
  • मुख्यमंत्री हरी झंडी दिखाकर यात्रा की शुरुआत करेंगे।

यात्रा मार्ग:
नगर निगम से शुरू होकर यात्रा टाउन हाल स्थित महात्मा गांधी प्रतिमा, कचहरी चौराहा, गोलघर, गणेश चौक, गोलघर काली मंदिर, धर्मशाला ओवरब्रिज, असुरन चौराहा, एच.एन. सिंह चौराहा और धरमपुर चौराहा होते हुए विशंभर पाठक पार्क (गीता वाटिका के पास) पहुंचेगी, जहां इसका समापन होगा।

यात्रा मार्ग पर विशेष व्यवस्था

कार्यक्रम की सफलता के लिए यात्रा मार्ग पर सुरक्षा, स्वच्छता, सजावट और जनसहभागिता की विशेष व्यवस्था की जा रही है।
महानगर इकाई की कई टीमें बनाई गई हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में समन्वय का कार्य संभालेंगी।

एकता और राष्ट्रनिर्माण का प्रतीक

डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि,

“यह यात्रा सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रनिर्माण के संकल्प का प्रतीक होगी।”

उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि सभी इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाने में पूरी ताकत झोंक दें, ताकि गोरखपुर की एकता यात्रा पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन सके।
बैठक की अध्यक्षता महानगर संयोजक राजेश गुप्ता ने की और संचालन महामंत्री इंद्रमणि उपाध्याय ने किया।