img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश पुलिस ने नकली और डुप्लीकेट (मिथ्या छाप) सामान से जुड़ी जांच प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब ऐसे मामलों में पुलिस कॉपीराइट एक्ट के बजाय सीधे ट्रेडमार्क और डुप्लीकेट ट्रेड से जुड़ी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करेगी।

क्यों आया यह बदलाव?

डीजीपी राजीव कृष्णा के निर्देश के अनुसार, कॉपीराइट एक्ट का दायरा सीमित है और अधिकांश नकली ब्रांडेड सामान ट्रेडमार्क उल्लंघन के अंतर्गत आता है। पुराने नियमों के तहत यदि पुलिस गलत धारा लगाती थी, तो आरोपी अदालत में तकनीकी आधार पर राहत पा लेते थे। इससे पुलिस की पूरी कार्रवाई कमजोर पड़ जाती थी और नकली सामान का कारोबार करने वाले गिरोहों को फायदा मिलता था।

डीजीपी ने स्पष्ट किया कि कानून की गलत व्याख्या और लापरवाही को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आदेश में प्रयागराज के एक मामले का उदाहरण दिया गया है, जिसमें बड़ी मात्रा में नकली ब्रांडेड सामान बरामद होने के बावजूद कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए पुलिस को फटकारा।

नए आदेश के मुख्य बिंदु

थाना और विवेचक स्तर पर अधिकारी ट्रेडमार्क एक्ट, कॉपीराइट एक्ट और डुप्लीकेट ट्रेड से जुड़े कानूनों का अध्ययन करेंगे।

आगे किसी भी मामले में गलत धारा लगाने पर संबंधित पुलिसकर्मी की जवाबदेही तय की जाएगी।

यह कदम नकली सामान के कारोबार में लगे गिरोहों पर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा और पुलिस की जांच को मजबूत बनाएगा।

इस नए दिशा-निर्देश से उम्मीद है कि नकली ब्रांडेड सामान पर कार्रवाई और भी तेज और प्रभावी होगी, और आरोपी तकनीकी आधार पर राहत नहीं पा सकेंगे।