धर्म डेस्क। सनातन परंपरा में नदियों को मां सामान माना गया है। समाज नदियों को पवित्र एवं पूजनीय मानता आया है। दक्षिण भारत की पवित्र नर्मदा नदी को तो अति पूज्यनीय माना गया है। इस नदी के हर कंकर-पत्थर को शिवलिंग का रूप मानकर पूजा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। इसी तरह यमुना में 7 दिन और सरस्वती नदी में 3 दिन स्नान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। नर्मदा नदी के बारे में मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
नर्मदा नदी के हर पत्थर को शिव जी का अंश माना गया है। सनातनी लोग नर्मदा नदी के पत्थरों को घर में रखकर उनकी पूजा करते हैं। इसी कारन से ये उक्ति लोक में प्रसिद्ध हो गयी - नर्मदा का हर कंकर है शंकर। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार भगवान शंकर ने नर्मदा की तपस्या से प्रसन्न हो कर स्वयं ये वरदान दिया था। तभी से नर्मदा नदी में या उसके तटों पर पाए जाने वाले हर छोटे बद्र कंकर-पत्थर पुज्य्नीय हो गए।
नर्मदा नदी के बारे में पौराणिक कथा इस प्रकार है - प्राचीनकाल में नर्मदा ने दीर्घकाल तक तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था। जब ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर नर्मदा से वर मांगने को कहा तो नर्मदा ने गंगा के समान होने का वर मांग लिया। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी माता पार्वती की समानता कर ले, तब ही कोई दूसरी नदी गंगा के समान हो सकती है। ब्रह्मा जी ने कहा कि कोई दूसरे के सामान नहीं हो सकता है।
ब्रह्मा जी के वचन सुनकर नर्मदा व्यथित हो गईं और काशी चली गईं। नर्मदा ने काशी में पिलपिलार्थ में शिवलिंग की स्थापना करके कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी। नर्मदा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वर मांगने को कहा। नर्मदा ने कहा कि महादेव आपके चरणों में मेरी भक्ति बनी रही, ऐसा वर दीजिये। नर्मदा की बात सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और वर दिया कि नर्मदा पृथ्वी पर तुम अविरल और निर्मल प्रवाहित होती रहो। तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर है, वे सब मेरे वर से शिवलिंग स्वरुप हो जाएंगे।
भगवान् शिव ने कहा कि गंगा में स्नान करने पर शीघ्र पापों का नाश होता है, यमुना में सात दिन और सरस्वती में तीन दिन स्नान करने पर पापों का नाश हो जाता है। मैं तुम वर देता हूँ कि जो व्यक्ति तुम्हारे दर्शन कर लेगा तो दर्शनमात्र से ही उसके सम्पूर्ण पापों का नाश हो जाएगा। इसके साथ ही तुमने तपस्या के लिए जिस नर्मेदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह अपार पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा। मान्यतानुसार उसी समय से नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर स्वरुप हो गया। आज भी लोग नर्मदा नदी के पत्थरों को घर में रखकर पूजा करते हैं।