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सत्य प्रकाश मालवीय के आदर्शों पर चलकर ही देश में समतावादी समाज की स्थापना संभव

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लखनऊ। आजादी के बाद गांधी, लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव और जय प्रकाश नारायण के समतावादी सत्याग्रह अभियान को गति देने काम सत्य प्रकाश मालवीय जी ने किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य प्रकाश मालवीय सच्चे अर्थों में छात्रों, नौजवानों, किसानों और वंचितों के मसीहा थे। वो हर तरह के शोषण के खिलाफ दीवार बनकर खड़े हो जाते थे। मालवीय जी के बताये हुए मार्ग पर चलकर ही देश-समाज में समता स्थापित की जा सकती है। 

उक्त बातें सोमवार को हजरतगंज स्थित इंडियन काफी हाउस में समतावादी प्रबुद्ध मंच उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में आयोजित सत्य प्रकाश मालवीय की पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कही। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित संगठन के अध्यक्ष राजेश पांडे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य प्रकाश मालवीय के संघर्षों को उद्धृत करते हुए कहा कि मालवीय जी हमेशा गरीबों, वंचितों, किसानों, छात्रों और नौजवानों के हित की लड़ाई लड़ते रहे। 

राजेश पांडे ने कहा कि आज हम सब की जिम्मेद्दारी है कि मालवीय जी की लड़ाई को आगे बढ़ाएं। राजेश पांडे ने कहा कि सत्य प्रकाश मालवीय द्वारा बताये गए संघर्ष के मार्ग पर चलकर ही देश में समता एवं स्वतंत्रता की अवधारणा को अमली जामा पहनाया जा सकता है।

संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए समतावादी चिंतक विजय श्रीवास्तव ने कहा कि सत्य प्रकाश मालवीय जी का लक्ष्य देश में  गांधी, लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव और जय प्रकाश नारायण के सपनो को साकार करना था। इसके लिए वो जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहे। विजय श्रीवास्तव ने कहा कि समाज में बराबरी एवं सद्भाव की स्थापना सत्य प्रकाश मालवीय के विचारों पर चलकर ही की जा सकती है।

संगोष्ठी में भारत जागृति अभियान के संयोजक योगेंद्र नाथ उपाध्याय, मनोरम मिश्रा, मयंक त्रिवेदी, अशोक मिश्रा, सावित्री तिवारी और रामदेव  ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का संचालन अशोक मिश्रा ने किया। अंत में मयंक त्रिवेदी ने समस्त आगत अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।  
 

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