
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : गणेश चतुर्थी के उत्सव की तैयारियां हर घर में शुरू हो गई हैं। हम सभी गणपति बप्पा को अपने घर आमंत्रित करने के लिए उत्साहित हैं, यह उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी तक चलेगा।
एक ओर जहाँ गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी को घर में स्थापित किया जाता है, वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी प्रतिमा को किसी जलाशय, नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। जानिए ऐसा क्यों किया जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया था। उन्होंने उनसे महाभारत लिखने का अनुरोध किया। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि 'जब मैं लिखना शुरू करूँगा, तो लिखना बंद नहीं करूँगा, अगर कलम रुक गई, तो मैं लिखना बंद कर दूँगा।' तब वेदव्यासजी ने कहा कि प्रभु, आप देवताओं में श्रेष्ठ हैं, ज्ञान और बुद्धि के दाता हैं और मैं एक साधारण ऋषि हूँ। यदि मुझसे किसी श्लोक में कोई गलती हो जाए, तो आपको उस श्लोक को सुधारकर लिखना होगा।
गणपतिजी ने अपनी सहमति दे दी और लेखन कार्य दिन-रात चलता रहा। इस कारण गणेशजी थक तो गए, लेकिन उन्हें जल पीने की भी मनाही थी। इससे गणपतिजी के शरीर का तापमान बढ़ गया। इसलिए वेदव्यास ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और गणेशजी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने के बाद गणेशजी का शरीर अकड़ गया, इसी कारण गणेशजी का नाम पार्थिव गणेश पड़ा।
महाभारत का लेखन दस दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी के दिन पूरा हुआ।
जब वेदव्यास ने देखा कि गणेशजी के शरीर का तापमान अभी भी बहुत अधिक है और उनके शरीर की मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें जल में तर्पण किया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेशजी को खाने के लिए विभिन्न प्रकार की चीज़ें दीं। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की स्थापना की जाती है और दस दिनों तक मन, वचन, कर्म और भक्ति से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन किया जाता है।
मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनाएं - धार्मिक मान्यता के अनुसार, मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्वों अर्थात पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए हर घर और मंदिर में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा करने से हर कार्य सिद्ध होता है।