बांदा।। जिले के बबेरू कोतवाली क्षेत्र के ग्राम परसौली में बीते गुरुवार की शाम गांव के बाहर खेत में लगे ट्यूबवेल के सपोर्टिंग तार में उतरे करंट की चपेट में आकर पिता और उसके दो पुत्रों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के लिए ग्रामीणों ने बिजली विभाग के अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। विभाग की ओर से जांच कर दावा किया गया है कि घटना खेत में नहीं मृतक के घर पर हुई थी, इसमें कहीं भी विभाग की लापरवाही नजर नहीं आई।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिशासी अभियंता उदय प्रताप सिंह द्वारा जारी की गई एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 29 जून को सांय लगभग 7 बजे सूचना प्राप्त हुई कि कमासिन पावर हाउस (उपखंड बबेरू) के अंतर्गत ग्राम बेर्राव के तहत ग्राम परसौली थाना कमासिन में गोरेलाल यादव, उनके पुत्र अतुल यादव और दीपू यादव की विद्युत आघात से मृत्यु हो गई।
मौके पर तत्काल लाइनमैन को भेजा गया जिससे पता चला कि गोरे लाल यादव के घर विद्युत कनेक्शन की सर्विस केबिल में ज्वाइंट था। जिसमें बारिश के कारण सपोर्ट वायर में करंट उतर आया। उसी समय गोरे लाल यादव ने अपने कच्चे मकान के ऊपर पॉलीथिन डालते समय सपोर्ट वायर के जद में आ जाने से विद्युत आघात से मृत्यु हो गई। उनको बचाने के लिए पास से उनके पुत्र अतुल यादव एवं दीपू यादव भी दौड़े और वह भी इसकी चपेट में आ गए। तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस प्रकरण में किसी प्रकार की विभागीय लापरवाही सामने नहीं आई है।
इस बारे में मृतक गोरेलाल के साले राजू ने बताया कि मेरे बहनोई और दो भांजे खेत में धान का बीज डालने जा रहे थे तभी दुर्घटना हुई थी। जबकि उस दिन पूरे दिन बिजली नहीं थी। जब दुर्घटना हुई तभी 10-15 मिनट के लिए बिजली आई थी। उन्होंने इस घटना को घर में होने से इनकार किया।
इसी तरह गांव के अन्य ग्रामीणों ने बताया कि खेत के पास में ही पारिवारिक लोगों का निजी ट्यूबवेल है। जहां पर दो खंभों पर ट्रांसफार्मर रखा है। खभों को रोकने के लिए सपोर्टर तार जमीन में लगा है। गोरेलाल धान की बोरी लेकर आगे चल रहा था। इसी दौरान सपोर्टर तार से छू गया। इससे वह करंट की चपेट में आ गया। घटना के वक्त वहां पर कई किसान मौजूद थे।
तीनों को ट्यूबवेल के सपोर्टिंग तार में चिपका देखकर लाठी डंडा से अलग कर अस्पताल ले गए थे। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में बिजली की लाइन काफी नीचे झुकी हुई है। जिसे ठीक कराने के लिए कई बार विद्युत विभाग के अफसरों को प्रार्थना पत्र दिए गए हैं लेकिन विभाग की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसी वजह से यह दुर्घटना हुई है। जिसमें विभाग की घोर लापरवाही है।