उत्तराखंड के औली में बनाए गए ‘विदेशी प्रशिक्षण नोड’ में 15 दिनों तक चला भारत-अमेरिकी सैन्य अभ्यास समाप्त हो गया। चीनी सरहद से मात्र 100 KM दूर 9500 फीट की ऊंचाई पर हुए इस रियाज़ को लेकर चीन ने आपत्ति जताते हुए इसे नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों का उल्लंघन बताया था।
भारत ने भी इसके जवाब में चीन की आपत्ति ख़ारिज करके कहा कि वे किसी अन्य मुल्क को यह वीटो नहीं देता कि उसे किस मुल्क के साथ युद्धाभ्यास करना चाहिए।
इंडियन आर्मी ने विदेशी मित्र सेनाओं को उच्च ऊंचाई पर जंग लड़ने का प्रशिक्षण देने के लिए चीन सरहद से मात्र 100 KM दूर 9500 फीट की ऊंचाई पर उत्तराखंड के औली में ‘फॉरेन ट्रेनिंग नोड’ (एफटीएन) बनाया है। इसकी शुरुआत 15 नवंबर को भारत और अमेरिकी सैनिकों के युद्धाभ्यास से हुई।
यानी हाई एल्टीट्यूड वाले क्षेत्र में पहली मर्तबा इस प्रकार का सैन्य अभ्यास किया गया। इस दौरान अमेरिकी सैनिकों ने उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में जंग लड़ने का प्रशिक्षण लेने में आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया। प्रैक्टिस के दौरान दोनों सेनाओं ने किसी भी आपदा के वक्त हालातों से निपटने के लिए एचएडीआर प्रशिक्षण और कौशल का आदान-प्रदान किया।