धर्म डेस्क। अनंत चतुर्दशी का पर्व भादौं माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की व्रत-पूजा के लिए यह तिथि उत्तम मानी जाती है। लोक मान्यता है कि इस तिथि पर व्रत रखने पर समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अनंत चतुर्दशी पर सच्चे मन से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने वाले व्यक्ति की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं। इसी तिथि पर गणेशोत्सव का समापन भी होता है और गणेशजी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 16 सितंबर को दिन में 3 बजकर 11 मिनट पर अनंत चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी और 17 सितंबर को प्रातः 11 बजकर 45 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यतानुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। इसी दिन गणेशजी का विसर्जन भी किया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। यदि आपके आसपास कोई पवित्र नदी या सरोवर है तो उसके तट पर अनंत चतुर्दशी की पूजा करना श्रेष्ठ होगा। वरना अपने घर के मंदिर या पूजा स्थल पर पूजा कर सकते हैं। अनंत चतुर्दशी की पूजा के लिए भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद एक धागे में 14 गांठें लगाकर भगवान की प्रतिमा के पास रख दें। इस दौरान ओम अनंताय नमः मंत्र का जप करें।
अब पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री अपने बाएं हाथ में इस धागे को बांध लें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। पूजा के बाद अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ करें या किसी से करवाएं। कथा के बाद आरती करें। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर ही परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।