Prabhat Vaibhav,Digital Desk : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लखनऊ के अपने पहले कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विश्व एकता और विश्वास हेतु ध्यान (योग) के राज्य स्तरीय समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने अपने संबोधन में राजयोग के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि विश्वास वहीं टिकता है, जहाँ मन शांत रहता है, विचार सकारात्मक होते हैं और भावनाएँ निर्मल होती हैं। उनके अनुसार, एक सशक्त आत्मा ही विश्व एकता के विचार को मूर्त रूप दे सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थिर और शांत मन समाज में शांति का बीज बोता है, जो आगे चलकर विश्व एकता की नींव बनता है।
वसुधैव कुटुम्बकम्—भारत का शाश्वत संदेश
अपने संबोधन की शुरुआत “ओम शांति” कहकर करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत की प्राचीन संस्कृति ने हमेशा “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संदेश दिया है—कि पूरा विश्व एक परिवार है। आज जब दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, यह संदेश पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने ब्रह्मकुमारीज परिवार को इस अभियान की शुरुआत के लिए शुभकामनाएँ भी दीं।
सरकार का लक्ष्य—समावेशी और शांतिपूर्ण समाज
राष्ट्रपति ने बताया कि भारत सरकार योग और ध्यान को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दे रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मूल्य-आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ जैसे अभियानों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
महिलाओं की आत्मनिर्भरता, सम्मान और सामाजिक समावेशन के लिए भी अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
तकनीक बढ़ी, लेकिन तनाव भी बढ़ा
उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य तकनीकी रूप से सक्षम तो है, लेकिन इसके साथ तनाव, असुरक्षा और अकेलेपन की भावना भी बढ़ी है। ऐसे समय में आत्म-चिंतन और भीतर झाँकने की यात्रा जरूरी है। ब्रह्मकुमारीज इस दिशा में जो काम कर रहे हैं, वह सराहनीय है।
आध्यात्मिक चेतना—मानवता का सुरक्षित भविष्य
राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि जी-20 समिट का थीम “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” था, जो मानवता के संयुक्त भविष्य और एकता की भावना को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक ने जीवन को आसान बनाया है, लेकिन असली आनंद हमारे भीतर ही है। जब मन शांत होता है और आत्मिक चेतना जागृत होती है, तभी प्रेम, करुणा और भाईचारा जीवन का हिस्सा बनते हैं।
शांति को भीतर जगाने की अपील
राष्ट्रपति ने ब्रह्मकुमारीज द्वारा विश्व शांति, नारी सशक्तिकरण, युवा मार्गदर्शन और ध्यान शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने भीतर शांति को जागृत करें, विचारों में विश्वास लाएँ और अपने कर्मों से एकता को आगे बढ़ाएँ।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मकुमारीज के केंद्र गाँव-गाँव तक सकारात्मकता पहुँचा रहे हैं और यह अभियान दुनिया को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति के हाथों दीप प्रज्ज्वलन से हुई। पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियों ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। मंच पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, ब्रह्मकुमारीज के वरिष्ठ पदाधिकारी और अनेक धार्मिक-आध्यात्मिक साधक उपस्थित थे।




