
नैनीताल। नैनीताल के चार्टन लॉज क्षेत्र में गत 23 सितंबर की सुबह हुए भूस्खलन और शाम को एक दो मंजिला भवन के ध्वस्त होने के बाद क्षेत्र में प्रशासन लगातार शेष घरों व क्षेत्र को आगे भूस्खलनों से बचाने एवं क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के प्रयासों में लगा हुआ है। इसी कड़ी में सोमवार को को भू वैज्ञानिक दीपेंद्र चंद के नेतृत्व में भूवैज्ञानिकों ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ क्षेत्र का निरीक्षण किया।
राहत की बात यह है कि जांच में तात्कालिक तौर पर भूस्खलन और भवन गिरने की घटना स्थानीय कारणों से होना पायी गयी है और दूर तक इसका असर नहीं देखा गया है। यानी दूर तक कोई दरारें नहीं देखी गयी हैं। अलबत्ता भूवैज्ञानिकों ने आगे क्षेत्र का विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने की अनुशंसा की है।
भूस्खलन के कारणों में क्षेत्र में बारिश के पानी का जमीन के अंदर रिसाव, घरों का सीवर सीवर लाइन की जगह सोख्ता गड्ढों में जाने, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में लगभग 70 डिग्री की तीक्ष्ण ढाल की पहाड़ी का होना और गिरे घर के बिना कॉलर-बीम के बना होना पाया गया।
डीएम वंदना सिंह ने बताया कि क्षेत्र में करीब 15 भवनों में दरारें देखी गयी हैं। भूवैज्ञानिकों से प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कराया गया, उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे वहां सुदृढ़ीकरण के कार्य कराए जायेंगे। फिलहाल रेत के भरे कट्टों से प्रभावित स्थल को बचाने, भूस्खलनग्रस्त खुले को तारपोल से ढकने और खतरे की जद में आये भवनों को खाली कराया जा रहा है। आगे यहां भूसंरक्षण के स्थायी-दीर्घकालीन प्रकृति के कार्य किये जायेंगे।
जनपद के आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेष कुमार ने बताया कि क्षेत्र में दरार वाले स्थान को ढक दिया गया है, ताकि बारिश होने पर पानी दरारों के भीतर न जाये। इसके अलावा भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र को जिओ बैग्स यानी बाहर न निकलने वाली सामग्री युक्त कट्टों से बचाया जा रहा है। आगे भूवैज्ञानिकों की अनुशंसा पर आईआईटी रुड़की से यहां का विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जायेगा।