नैनीताल। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में होने वाले निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से कहा है कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा की आरक्षण संबंधी रिपोर्ट को लिखित रुप में पेश करें। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार रुद्रुपुर निवासी रिजवान अंसारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका की थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि निकायों में आरक्षण तय करने के लिए उच्च न्यायलय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इसकी रिपोर्ट अब शासन को मिल चुकी है जिस पर राज्य सरकार आरक्षण तय करने के लिए नया विधेयक लाने जा रही है। सुनवाई पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार 2011 की जनगणना के अनुसार निकायों में आरक्षण निर्धारित कर रही है।
2018 के निकाय चुनाव इसी आधार पर सम्पन्न हुए थे, लेकिन वर्तमान में पहाड़ के बजाय प्रदेश के मैदानी इलाकों में ओबीसी का वोट बैंक बढ़ा है। इसलिए ओबीसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें इनसे आपत्ति मांगी गई है। आपत्तियों का निस्तारण हो चुका है।