नई दिल्ली। पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। दोनों पहलवान दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पार्टी की सदस्य्ता ली। पार्टी में शामिल होने से पहले विनेश ने रेलवे के पद से इस्तीफा भी दे दिया है। गत दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट से मुलाक़ात की थी। इसके बाद से ही दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का ये कदम कांग्रेस के लिए संजीवनी तो भाजपा के लिए सदमा माना जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोनों खिलाड़ियों के साथ मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'चक दे इंडिया, चक दे हरियाणा! दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले हमारे प्रतिभाशाली चैंपियन विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया से 10 राजाजी मार्ग पर मुलाक़ात। हमें आप दोनों पर गर्व है।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश फोगाट ने कहा कि हमारी लड़ाई अभी जारी है। मामला अभी कोर्ट में है, हम वो लड़ाई भी जीतेंगे। उन्होंने अब हम कांग्रेस के साथ देश के लिए काम करेंगे। जिस तरह से हमने अपना खेल दिल से खेला, उसी तरह हम अपने लोगों के लिए काम करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे।
विनेश फोगाट ने कांग्रेस नेतृत्व को धन्यवाद देते हुए कहा कि जब हमें सड़क पर घसीटा जा रहा था तो भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियां हमारे साथ थीं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसी पार्टी में शामिल हुई हूं जो महिलाओं के साथ खड़ी है और सड़क से संसद तक लड़ने के लिए तैयार है। विनेश ने कहा कि मैं देश की बेटियों के लिए आवाज उठाती रहूंगी।
इसी तरह बजरंग पुनिया ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस और उसके नेता हमारे साथ मुश्किल घड़ी में खड़े रहें। भाजपा आईटी सेल ने हम पर सियासत करने का आरोप लगाया था। हमने भाजपा की सभी महिला सांसदों के घर पर पत्र भेजा था, लेकिन वे महिला खिलाड़ियों के साथ खड़ी नहीं हुई। बजरंग पुनिया ने कहा कि वहीं कांग्रेस बिना बताएं वहां आई और साथ दिया। अब हम कांग्रेस में रहकर मेहनत करेंगे और पार्टी को आगे बढ़ाएंगे।
गौरतलब है कि हरियाणा में पांच अक्तूबर को मतदान होना है। इस प्रदेश में विधानसभा की 90 सीटें हैं। साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी। दुष्यंत चौटाला के सहयोग से भाजपा ने दोबारा सरकार बना ली थी। ध्यातव्य है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव किसान आंदोलन और दिल्ली में पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद हो रहे हैं।