Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देवभूमि उत्तराखंड में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि यह कोई सामान्य अतिक्रमण नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से किया गया प्रयास है। देहरादून में एक मीडिया समूह के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि लाल, हरा, पीला और नीला कपड़ा डालकर हजारों एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा किया गया, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार ने इस पूरे मामले में कानून, व्यवस्था और संविधान के दायरे में रहकर कार्रवाई की है। किसी को निशाना बनाना सरकार का उद्देश्य नहीं है, बल्कि केवल सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराना ही मकसद है।
पहले नोटिस, फिर कार्रवाई
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को पहले नोटिस जारी किए गए। कई लोगों ने खुद ही कब्जा हटा लिया। जहां कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया, वहां प्रशासन ने कार्रवाई की। अब तक लगभग 10 हजार एकड़ सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा चुका है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर कब्जे को जायज ठहरा सकता है। सरकार ने सिर्फ वही किया है, जो उसका दायित्व है।
पहचान छिपाकर अतिक्रमण और सामाजिक चिंता
मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं कपड़ा डालकर, कहीं धार्मिक ढांचे की आड़ में सरकारी जमीन पर कब्जा करना, पहचान बदलकर बहन-बेटियों को बहलाकर उनके भविष्य से खिलवाड़ करना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि देवभूमि में देश-दुनिया से लोग आते हैं और हाल के समय में कुछ घटनाएं सामने आई हैं, जो समाज में गलत मानसिकता को दिखाती हैं। इन्हीं सब पहलुओं को देखते हुए सरकार ने इस तरह की गतिविधियों को सख्ती से रोकने का फैसला किया है।
कांग्रेस पर पलटवार
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अब उसके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है। जनता काम करने वालों को मौका दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि झूठे नारे और गलत नैरेटिव गढ़ने वाले ही पहले वोट चोरी जैसे काम करते थे। घुसपैठियों को बसाना, अवैध रूप से वोट बनवाना और देशविरोधी सोच को बढ़ावा देना उन्हीं की राजनीति का हिस्सा रहा है।
एसआईआर पर सवाल क्यों?
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) का विरोध कर रहे हैं, वही लोग पहले अवैध तरीके से वोट बनवाते थे। चुनाव आयोग अब कानून के तहत यह जांच कर रहा है कि वोटर की पृष्ठभूमि क्या है और वह कहां का निवासी है। अगर प्रक्रिया पारदर्शी है तो इसमें आपत्ति क्यों होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देवभूमि में अतिक्रमण और घुसपैठ दोनों ही बड़ी चुनौतियां हैं। जिन लोगों ने वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया और प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचाया, वही आज इस प्रक्रिया से परेशान नजर आ रहे हैं।




