
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मानसून सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए एक अहम विधेयक पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। इस विधेयक में प्रावधान है कि अगर किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को किसी आपराधिक मामले में 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। विपक्ष के विरोध के बाद अब इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है, जिस पर थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने अभी तक इस विधेयक का पूरा अध्ययन नहीं किया है, लेकिन प्रथम दृष्टया उन्हें इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति 30 दिन जेल में बिताता है, तो वह मंत्री नहीं रह सकता, जो कि सामान्य बात है। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे विधेयक के अन्य प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद ही कोई ठोस बयान देंगे। उन्होंने विधेयक को जेपीसी के पास भेजने के फैसले का भी स्वागत किया, क्योंकि लोकतंत्र में किसी भी विषय पर समिति के भीतर चर्चा होना ज़रूरी है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई मंत्री, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किसी आपराधिक मामले में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे 31वें दिन इस्तीफा देना होगा, अन्यथा उसे पद से हटा दिया जाएगा। इस विधेयक के पेश होते ही विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके कारण इसे जेपीसी के पास भेजने का निर्णय लिया गया।
शशि थरूर का बयान
विधेयक के बारे में पूछे जाने पर शशि थरूर ने अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मैंने अभी तक विधेयक नहीं पढ़ा है, लेकिन पहली नज़र में मुझे इसमें कुछ भी ग़लत नहीं लगता कि एक दोषी व्यक्ति को मंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति 30 दिन जेल में रहा है, तो वह मंत्री पद पर कैसे काम कर सकता है? यह सामान्य ज्ञान की बात है।" हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस विधेयक के पीछे कोई और मंशा है, तो उसका गहन अध्ययन ज़रूरी है।
जेपीसी को भेजे जाने पर प्रतिक्रिया
थरूर ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने के फ़ैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर समिति के भीतर विस्तृत चर्चा होना बेहद ज़रूरी है।
इस विधेयक का सबसे ज़्यादा विरोध कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने किया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस विधेयक को "असंवैधानिक" बताया। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी मुख्यमंत्री पर मुकदमा दर्ज कर उसे बिना दोषी पाए 30 दिनों तक जेल में रख सकती है और पद से हटा सकती है, जो लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है। इस विरोध के चलते विपक्षी सदस्यों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं और सदन में हंगामा किया।