Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब बेहद आक्रामक रुख अपना लिया है। युद्ध रोकने की अपनी राजनीतिक कोशिशों के अब तक नाकाम रहने के बाद ट्रंप ने अब आर्थिक हथियार उठा लिया है। उन्होंने दुनिया भर के देशों को सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि अगर कोई भी देश रूस के साथ व्यापार जारी रखता है, तो उसे अमेरिका के "बेहद कड़े प्रतिबंधों" का सामना करना पड़ेगा। इसकी जद में अब भारत भी आ गया है, जिस पर ट्रंप प्रशासन ने 50% का भारी टैरिफ लगा दिया है। इसके अलावा, नए कानून के तहत रूसी तेल व्यापार पर 500% तक टैक्स लगाने का प्रावधान विचाराधीन है।
ट्रम्प की दहाड़: क्या रूस के साथ संबंधों का पूर्ण अंत हो जाएगा?
न्यूयॉर्क और वाशिंगटन से आ रही खबरों के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश को बख्शा नहीं जाएगा। ट्रंप ने कहा, "रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश को कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के लिए तैयार रहना होगा।" उन्होंने संकेत दिया है कि ईरान भी इस सूची में शामिल हो सकता है। ट्रंप के इस रुख से साफ है कि वह व्लादिमीर पुतिन को आर्थिक रूप से ध्वस्त करने के लिए रिपब्लिकन सांसदों के साथ मिलकर मास्को के खिलाफ सख्त कानून लाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
भारत को सबसे बड़ा आर्थिक झटका (50% टैरिफ)
ट्रंप की इस नीति का सबसे गंभीर असर भारत पर देखने को मिल रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% आयात शुल्क लगाने का फैसला किया है, जो इस समय दुनिया में सबसे ज़्यादा माना जा रहा है। इस शुल्क ढांचे में रूस से खरीदे जाने वाले तेल पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। इस कदम का भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है।
'रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025': 500% कर की तैयारी
कांग्रेस में रूस पर कार्रवाई तेज़ हो गई है। कांग्रेस सदस्य लिंडसे ग्राहम और रिचर्ड ब्लूमेंथल ने संयुक्त रूप से "रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025" पेश किया है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में पुतिन के युद्ध के लिए वित्तीय सहायता को रोकना है।
इस विधेयक में रूसी तेल की खरीद और बिक्री पर 500% तक का असहनीय टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है।
इस प्रस्ताव को सदन की विदेश संबंध समिति में लगभग सर्वसम्मति से समर्थन प्राप्त हुआ है।
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या अब समय आ गया है कि कांग्रेस रूस पर दबाव बनाने के लिए कदम उठाए, तो उन्होंने यह कहते हुए अपना रुख बदल दिया, "मैंने सुना है कि वे (कांग्रेस) ऐसा कर रहे हैं, और यह बिल्कुल सही है।" इस प्रकार, ट्रंप अब कूटनीतिक वार्ता के बजाय आर्थिक प्रतिबंधों के ज़रिए रूस को अपने घुटनों पर लाना चाहते हैं।




