
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एक ओर जहाँ पाकिस्तानी नेता भारत को युद्ध और परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भारत से सिंधु नदी का पानी माँग रहा है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की धमकियों के बाद, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर भारतीय विदेश मंत्रालय से सिंधु जल संधि को तुरंत बहाल करने की अपील की है। पाकिस्तान ने मध्यस्थता अदालत के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन भारत ने अदालत को मान्यता नहीं दी है, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो द्वारा भारत को युद्ध और परमाणु हमले की धमकी दिए जाने के बावजूद, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत से सिंधु जल संधि (IWT) के सामान्य संचालन को तुरंत बहाल करने का आग्रह किया है। पाकिस्तान ने मध्यस्थता न्यायालय के हालिया फैसले का स्वागत किया है, जिसने पश्चिमी नदियों पर भारत की जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन को स्पष्ट किया है। हालाँकि, भारत ने न्यायालय को मान्यता नहीं दी है और उसके फैसले को खारिज कर दिया है, जिससे यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान की अपील कितनी सफल होगी।
पाकिस्तान का दोहरा मापदंड
एक तरफ़, पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेता भड़काऊ बयान दे रहे हैं। पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अमेरिका में भारत पर परमाणु हमले की धमकी दी, तो वहीं पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सिंधु जल संधि को लेकर युद्ध की चेतावनी दी। इन बयानों ने भारत के साथ संबंधों को और बिगाड़ दिया है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में भारत से शांतिपूर्ण बातचीत करने और सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के कामकाज को फिर से शुरू करने की अपील की है। मंत्रालय ने कहा कि भारत को संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरी ईमानदारी से पूरा करना चाहिए।
मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय और भारत का पक्ष
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर 8 अगस्त, 2025 को दिए गए मध्यस्थता न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। इस फैसले में न्यायालय ने पश्चिमी नदियों (चिनाब, झेलम और सिंधु) पर भारत की जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन को स्पष्ट किया है। न्यायालय ने कहा है कि भारत को इन नदियों का पानी बिना किसी रुकावट के पाकिस्तान तक पहुँचने देना चाहिए।
हालाँकि, भारत ने इस मध्यस्थता अदालत को कभी मान्यता नहीं दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, ऐसी अदालत का गठन सिंधु जल संधि का उल्लंघन है। भारत का मानना है कि इस विवाद का समाधान मध्यस्थता से नहीं, बल्कि द्विपक्षीय बातचीत से होना चाहिए।
भारत की सैद्धांतिक प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की परमाणु युद्ध की धमकियों को 'गैरज़िम्मेदाराना' करार दिया है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान परमाणु ब्लैकमेल की अपनी पुरानी आदत पर कायम है, लेकिन भारत ऐसी धमकियों से नहीं डरेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाता रहेगा। पाकिस्तान के इस दोहरे रवैये ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और जटिल बना दिया है।