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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हथियारों की दुनिया में रूस हमेशा से एक ऐसा खिलाड़ी रहा है, जिसके कदम न सिर्फ़ बाज़ार, बल्कि पूरी भू-राजनीति को बदल सकते हैं। पुतिन की भारत यात्रा इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का इतिहास कोई साधारण साझेदारी नहीं, बल्कि दशकों पुरानी रणनीतिक दोस्ती का है। भारत-रूस संबंध विश्वास और तकनीक, दोनों की नींव पर टिके हैं और यह यात्रा उस नींव में एक और परत जोड़ सकती है।

लेकिन इससे एक दिलचस्प सवाल उठता है: अगर भारत को इतनी व्यापक रक्षा सहायता मिल रही है, तो रूस किन अन्य देशों को अपने हथियार सप्लाई करता है? इसका जवाब चौंकाने वाला है क्योंकि यह सिर्फ़ 3-4 देशों की सूची नहीं है, बल्कि दुनिया भर में फैले 50 से ज़्यादा देशों का एक पूरा सैन्य बाज़ार है, जिसमें रूस कभी विक्रेता के तौर पर, तो कभी रणनीतिक साझेदार के तौर पर शामिल होता है।

रूस किन देशों को हथियार बेचता है? 
रिपोर्टों के अनुसार, रूस ने पिछले दो दशकों में एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका को अपने उन्नत हथियार बेचे हैं। ये हथियार सिर्फ़ एके-सीरीज़ की राइफलें या साधारण मिसाइलें नहीं हैं। इनमें लड़ाकू विमान, टैंक, वायु रक्षा प्रणालियाँ, पनडुब्बी, हमलावर हेलीकॉप्टर और लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं।

भारत के अलावा अन्य देश 
इस सूची में भारत सबसे बड़ा और सबसे विश्वसनीय ग्राहक है, लेकिन इसके अलावा, रूस की आपूर्ति श्रृंखला कई दिलचस्प दिशाओं में फैली हुई है। रूस ने चीन, वियतनाम, म्यांमार, ईरान, इराक, मिस्र, अल्जीरिया, सीरिया, बांग्लादेश, अंगोला, नाइजीरिया और इथियोपिया जैसे देशों को हथियार आपूर्ति किए हैं, जो उनकी राजनीतिक गतिशीलता के अनुरूप हैं।

इन सौदों में हमेशा सिर्फ़ पैसा ही नहीं, बल्कि रणनीति, गठबंधन, सैन्य प्रशिक्षण और तकनीक हस्तांतरण भी शामिल होता है। यही कारण है कि रूस का हथियार बाज़ार एक हथियार कंपनी के रूप में नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक उपकरण के रूप में काम करता है।

भारत ने रूस से कौन से हथियार खरीदे? 
भारत ने रूस से ऐसे हथियार खरीदे हैं जो दुनिया का कोई भी देश नहीं खरीद सकता। भारतीय वायुसेना के पास मौजूद सुखोई-30 एमकेआई विमान इसका एक अच्छा उदाहरण है, जिसे खास तौर पर भारत के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा, रूस ने एस-400 मिसाइल सिस्टम जैसी तकनीक कुछ चुनिंदा देशों को ही दी है।

भारतीय सेना के पास बड़ी संख्या में रूसी टी-72 और टी-90 टैंक हैं, जिन्हें कई बड़े सैन्य अभ्यासों में भारतीय सेना की रीढ़ माना जाता है। नौसेना का आईएनएस विक्रमादित्य, रूसी प्लेटफॉर्म पर आधारित फ्रिगेट, पनडुब्बियाँ और मिसाइलें, ये सभी रूस और भारत के गहरे सैन्य संबंधों को दर्शाते हैं।

सबसे खतरनाक रूसी हथियार किस देश के पास हैं?
इस संबंध में एक और महत्वपूर्ण कड़ी ब्रह्मोस परियोजना है। यह सिर्फ़ एक संयुक्त मिसाइल नहीं है, बल्कि किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत के साथ तकनीक साझा करने में रूस की प्राथमिकता का प्रमाण है। यही वजह है कि ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ और सटीक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक माना जाता है। रूस की सबसे खतरनाक प्रणालियाँ, जैसे S-400, याखोंट मिसाइल, और Su-35 व T-90MS जैसे उन्नत टैंक, केवल चुनिंदा देशों के पास ही उपलब्ध हैं, और भारत इस सूची में सबसे ऊपर है।