img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) द्वारा दायर एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सामग्री हटाने के आदेश जारी करने के सरकारी अधिकारियों के अधिकार को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय के फैसले पर खुशी जताते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संविधान की जीत हुई है।

इससे पहले न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि सोशल मीडिया को विनियमित करने की जरूरत है, खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक की गरिमा का अधिकार बाधित होता है।

'सहयोग' पोर्टल की वैधता को चुनौती 
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के 'सहयोग' पोर्टल की वैधता को चुनौती देने वाली एक्स द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। एक्स, मॉडरेटर्स को सामग्री हटाने के आदेश जारी करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। एक्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।

अदालत ने यह भी कहा कि एक्स कॉर्प संयुक्त राज्य अमेरिका में अनिवार्य सामग्री हटाने के आदेशों का अनुपालन करता है, क्योंकि वहां इनका उल्लंघन करना अपराध माना जाता है।

यह संविधान की जीत है... कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा एक्स कॉर्प की याचिका खारिज करने पर बोले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव

जस्टिस नागप्रसन्ना ने अपने फैसले में
आगे कहा, "जब वही याचिकाकर्ता ऐसे आदेशों का पालन करने से इनकार कर रहा है, जब इस देश की सीमाओं के भीतर कानून के खिलाफ सामग्री प्रदर्शित की जा रही है, तो यह बेतुका है। उपरोक्त सभी कारणों से, याचिका बिना किसी योग्यता के खारिज की जाती है।"

संवैधानिक अधिकारों के महत्व पर, न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, "अनुच्छेद 19 अपने वादों में शानदार है, लेकिन यह नागरिकों को दिए गए अधिकारों का एक चार्टर मात्र है। यहाँ याचिकाकर्ता नागरिक नहीं है, इसलिए वह इसके तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता।" उच्च न्यायालय ने ज़ोर देकर कहा कि भारत में संचालित प्रत्येक मंच को यह स्वीकार करना होगा कि स्वतंत्रता ज़िम्मेदारी के साथ आती है।