
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के आतंकवाद पर विवादित बयान के कुछ ही घंटों बाद, भारत ने न्यूयॉर्क में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की एक विशेष बैठक बुलाई। इस बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया गया और सभी सदस्य देशों ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की।
भारत की पहल पर हुई बैठक
भारत के आमंत्रण पर आयोजित इस बैठक में ब्रिक्स देशों ने हर तरह के आतंकवाद को पूरी तरह से अस्वीकार करते हुए ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाने पर जोर दिया। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाले दबाव और अतिरिक्त शुल्कों के बढ़ते प्रचलन पर गहरी चिंता जताई गई।
विशेषज्ञ इसे ट्रंप प्रशासन और पाकिस्तान की सरकार तथा सेना के बीच बढ़ती नजदीकियों से जोड़कर देख रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत, जो ब्रिक्स का अध्यक्ष है, कभी भी ऐसी बैठक बुला सकता है। इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के समय इसका आयोजन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में, ब्रिक्स ने आतंकवाद पर दोहरी नीति अपनाने वाले देशों की आलोचना की। उन्होंने अपने दो सदस्यों—भारत और ब्राजील—को संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में अधिक भूमिका निभाने की अनुमति देने का समर्थन किया।
संयुक्त बयान में अमेरिका पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कतर पर इजरायल के हालिया हमले की भी कड़ी निंदा की गई। इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया गया और कहा गया कि इससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरा बढ़ता है।
वैश्विक व्यापार में अस्थिरता पर चिंता
ब्रिक्स देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अस्थिरता पर चिंता जताई और शुल्कों में मनमानी बढ़ोतरी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। अप्रैल, 2025 में ट्रंप प्रशासन ने भारत, चीन और ब्राजील सहित कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए, जबकि कुछ देशों ने अमेरिका की शर्तें मान लीं। भारत ने अभी तक इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया।
जयशंकर का संदेश
बैठक में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि बहुपक्षीय कारोबारी व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया है। ब्रिक्स के सभी देशों को इस खतरे के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को मौजूदा अस्थिर विश्व में शांति, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन का संदेश देना चाहिए। इसके अलावा बढ़ते संरक्षणवाद, अनिश्चित शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं के दौर में बहुपक्षीय कारोबारी व्यवस्था की सुरक्षा भी ब्रिक्स की जिम्मेदारी है।