Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब में मनरेगा में किए गए बदलावों के विरोध में बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र से ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री आवास पर अहम बैठक हुई। यह बैठक अब समाप्त हो चुकी है और इसमें कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसलों पर सहमति बनी है।
बैठक में तय किया गया कि पटियाला से एसएएस नगर में शामिल किए गए बनूड़ को अब तहसील का दर्जा दिया जाएगा। इसके साथ ही होशियारपुर जिले में स्थित हरियाणा को भी तहसील बनाया गया है। सरकार का कहना है कि इससे स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कामों में सहूलियत मिलेगी।
जानकारी के मुताबिक, बनूड़ की सब तहसील को अपग्रेड कर सब-डिविजनल तहसील बनाया गया है। वहीं हरियाणा को नई सब तहसील का दर्जा मिला है। बनूड़ की तहसील में 2 कानूनगो, 14 पटवारी और 40 गांव शामिल किए गए हैं, जबकि हरियाणा सब तहसील में 2 कानूनगो, 12 पटवारी और 50 गांवों को जोड़ा गया है।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में और भी कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि प्रस्तावित विशेष सत्र का मुख्य एजेंडा केंद्र सरकार के नए कानून ‘विकसित भारत’ से जुड़ा होगा, जिसका पंजाब सरकार खुलकर विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले भी कह चुके हैं कि केंद्र सरकार मनरेगा जैसी योजना में बदलाव कर गरीबों की रोजी-रोटी पर असर डाल रही है।
मुख्यमंत्री ने 19 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि मनरेगा गरीब परिवारों के लिए सहारा है और इसमें बदलाव से कई घरों में काम और आमदनी का संकट खड़ा हो सकता है।
जनवरी में सत्र बुलाने से क्यों बदली तारीख
पहले यह ऐलान किया गया था कि इस मुद्दे पर जनवरी के दूसरे हफ्ते में विशेष सत्र बुलाया जाएगा, लेकिन बाद में तारीख बदलकर 30 दिसंबर 2025 कर दी गई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर सत्र जनवरी में होता तो राज्यपाल का अभिभाषण जरूरी हो जाता। इसी औपचारिकता से बचने के लिए सरकार ने दिसंबर के अंत में सत्र बुलाने का फैसला लिया।
मुख्यमंत्री ने रखा अपना पक्ष
कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बनूड़ और हरियाणा को तहसील बनाए जाने की जानकारी दी। वहीं मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मीडिया के सामने आए और उन्होंने हाल ही में एसजीपीसी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों पर जवाब दिया। खास तौर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के लापता स्वरूपों के मुद्दे पर उन्होंने सरकार का पक्ष स्पष्ट किया।
सरकार का कहना है कि आने वाले समय में इन फैसलों से प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी और विशेष सत्र में मनरेगा संशोधन को लेकर राज्य की स्थिति साफ तौर पर रखी जाएगी।




