Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मथुरिया मोहल्ला की आरती गुप्ता ने इतिहास रच दिया है। वे न केवल भारत मौसम विज्ञान विभाग की पहली महिला वैज्ञानिक बनी हैं, बल्कि बिहार की पहली महिला भी हैं, जिन्हें 45वें भारतीय अंटार्कटिका शीतकालीन अभियान में शामिल होने का मौका मिला।
वर्तमान में आरती गुप्ता मौसम विज्ञान केंद्र, पटना में मौसम विज्ञानी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार और देश की महिलाओं के लिए गर्व का विषय है। अंटार्कटिका दुनिया का सबसे ठंडा और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण महाद्वीप है।
इस अभियान में शामिल होना कोई आसान काम नहीं है। आरती का मुख्य उद्देश्य अंटार्कटिका में मौसमी अवलोकन करना, जलवायु परिवर्तन के आंकड़ों का अध्ययन करना और भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाना है।
आरती बताती हैं, “जब मैंने भारत मौसम विज्ञान विभाग में कार्यभार संभाला, तभी मैंने अंटार्कटिका अभियानों के बारे में पढ़ा और ठान लिया कि एक दिन मैं उस बर्फीली दुनिया का हिस्सा बनूंगी। आज मेरा वह सपना साकार हो रहा है।”
कठिन चयन प्रक्रिया
अंटार्कटिका अभियान के लिए चयन प्रक्रिया बेहद कड़ी होती है। आवेदन और शॉर्टलिस्टिंग के बाद एम्स, दिल्ली में लगभग एक सप्ताह तक गहन मेडिकल परीक्षण किया जाता है। इसमें शारीरिक और मानसिक फिटनेस की जांच होती है।
इसके बाद आईटीबीपी के औली पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान में एक माह का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां ठंड, बर्फीले इलाके और आपात स्थितियों में जीवित रहने की ट्रेनिंग दी जाती है।
अंत में आईएमडी द्वारा विभागीय प्रशिक्षण के बाद अंतिम चयन सूची जारी होती है, जिसमें आरती गुप्ता का नाम शामिल हुआ। इस अभियान में करीब 50 वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ और मेडिकल टीम के सदस्य शामिल हैं।
अंटार्कटिका की चुनौतियां
अत्यधिक ठंड, लंबे समय तक अंधकार, सीमित संसाधन और बाहरी दुनिया से संपर्क का अभाव जैसी चुनौतियों का सामना टीम भावना और अनुशासन से किया जाता है।
एक महिला के रूप में आरती के इस क्षेत्र में कदम रखना न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी है।
आरती गुप्ता अपने परिवार, विशेष रूप से अपने पति, भारत मौसम विज्ञान विभाग और अपने आत्मविश्वास को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं। उनका कहना है, “कोई भी सपना संकल्प और मेहनत से पूरा किया जा सकता है।”




