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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में शहरी विकास को एक नई पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ आगे बढ़ाने के लिए नगर विकास विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी जिला अधिकारियों, नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को एक पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि नगर विकास विभाग द्वारा संचालित विकास कार्यों के शिलापट्ट, शिलालेख या पट्टिका पर मुख्यमंत्री, संबंधित मंत्री, क्षेत्रीय विधायक, महापौर (नगर निगम में), या अध्यक्ष (नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत में) के नाम अनिवार्य रूप से अंकित किए जाएंगे। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास को जनभागीदारी से जोड़ने की दृष्टि को दर्शाता है, जहां जनप्रतिनिधि जनता और शासन के बीच भरोसेमंद कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।

'नाम' नहीं, 'पहचान' की लड़ाई: शिलापट्टों पर किसकी चलेगी हुकूमत?

नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को अनेक शिकायतें मिलने के बाद, यह निर्देश जारी किया गया है कि शिलापट्ट में नामों के फॉन्ट साइज पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। प्रमुख सचिव अमृत अभिजात के पत्र के अनुसार, जहां पूर्व में दिशा-निर्देश दिए गए थे, वहीं कुछ स्थानीय निकाय उनका उचित पालन नहीं कर रहे थे। नए निर्देशों के तहत, मुख्यमंत्री और मंत्री को छोड़कर, विधायक, महापौर और अध्यक्ष के नामों का फॉन्ट साइज भी एक समान रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी और अन्य अधिकारियों के नाम शिलापट्ट पर न लिखने का सख्त निर्देश है। यह स्पष्ट करता है कि प्राथमिकता जनप्रतिनिधियों और उनके प्रतिनिधित्व को दी जा रही है, न कि अधिकारियों की भूमिका को प्रदर्शित करने की।

जनता का हक, सरकार का फर्ज: CM योगी ने समझाया प्रतिनिधियों का महत्व!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते रविवार को कानपुर मंडल के विधायकों के साथ बैठक में इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि नगर विकास कार्यों के शिलापट्ट पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के नाम अनिवार्य रूप से अंकित होने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधि केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि जन आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके विचार और सुझाव योजनाओं की संरचना और क्रियान्वयन में सक्रिय रूप से सम्मिलित किए जाने चाहिए। यह निर्देश प्रशासनिक निर्णयों में जनता की आवाज़ को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अगली किश्त के लिए 'प्रमाणित' जन-पहचान ज़रूरी!

नई व्यवस्था के तहत, परियोजनाओं की अगली किश्त प्राप्त करने के लिए उपयोगिता और पूर्णता प्रमाण पत्र के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों के नामों वाले शिलापट्ट या पट्टिका की संबंधित जिलाधिकारी, नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी से प्रमाणित फोटो भी संलग्न करनी होगी। इसके अतिरिक्त, सभी जनप्रतिनिधियों को प्रोटोकॉल के अनुसार आमंत्रण देने के निर्देश भी दिए गए हैं। यह कदम कार्यवाही में संलग्नता और सर्वसम्मति को बढ़ावा देगा, जिससे विकास परियोजनाओं की सफलता सुनिश्चित हो सके। यह नया नियम उत्तर प्रदेश में विकास की धारा को और तेज़ करेगा और जनता के विश्वास को मजबूत करेगा।