
आपके स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक कार और आधुनिक गैजेट्स में एक 'जादुई' खनिज इस्तेमाल होता है, जिसे 'रेयर अर्थ' (Rare Earth Minerals) कहते हैं। इस खनिज के बिना आज की टेक्नोलॉजी अधूरी है। अब खबर आ रही है कि दुनिया की इस सबसे कीमती संपदा पर चीन ने म्यांमार के गृहयुद्ध का फायदा उठाकर एक नए और बड़े भंडार पर अपना नियंत्रण जमा लिया है। यह सब किसी बिजनेस डील के तहत नहीं, बल्कि बंदूक के दम पर हुआ है।
तो आखिर ये पूरा मामला क्या है?
म्यांमार इस वक्त गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। वहां की सैन्य सरकार (जुंटा) देश के कई हिस्सों पर अपना नियंत्रण खो चुकी है और विद्रोही गुटों से लड़ रही है। इसी अफरा-तफरी का फायदा चीन ने उठाया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, म्यांमार के पूर्वी हिस्से में 'पांगवा' नाम की जगह पर रेयर अर्थ खनिजों का एक विशाल भंडार मिला है। चीन समर्थित एक स्थानीय हथियारबंद समूह (मिलिशिया) ने इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया है। यह मिलिशिया सीधे तौर पर चीन के इशारे पर काम कर रहा है ताकि इन खदानों से निकलने वाला सारा कीमती खनिज सीधे चीन पहुंच सके।
चीन को इसकी इतनी ज़रूरत क्यों है?
चीन दुनिया में रेयर अर्थ का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा उपकरणों तक, हर हाई-टेक चीज़ में इसकी ज़रूरत पड़ती है। पहले चीन म्यांमार के काचिन राज्य से ये खनिज हासिल करता था, लेकिन अब उस इलाके पर सैन्य सरकार का विरोध करने वाले 'कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी' (KIA) का कब्जा है। KIA ने चीन को वहां से खनन करने से रोक दिया।
अपनी सप्लाई चेन टूटते देख चीन ने एक नया रास्ता खोजा। उसने एक दूसरे हथियारबंद गुट को समर्थन दिया और उसे नई खदानों पर कब्जा करने में मदद की। यह इलाका चीन की सीमा के बहुत करीब है, जिससे खनिजों को चीन ले जाना बेहद आसान हो गया है।
इसका दुनिया पर क्या असर होगा?
चीन का बढ़ता दबदबा: इस कदम से रेयर अर्थ की वैश्विक सप्लाई पर चीन का एकाधिकार और भी मजबूत हो जाएगा। वह अपनी मर्जी से इसकी कीमतें और सप्लाई को नियंत्रित कर सकेगा।
पर्यावरण की तबाही: इन खनिजों को निकालने की प्रक्रिया बहुत विनाशकारी होती है। इससे बड़े पैमाने पर जंगल कटते हैं और पानी जहरीला हो जाता है, जिससे म्यांमार को भारी पर्यावरणीय नुकसान होगा।
म्यांमार का शोषण: गृहयुद्ध के कारण म्यांमार के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा जा रहा है और इसका फायदा सीधे तौर पर चीन उठा रहा है, जबकि म्यांमार की जनता और देश को कुछ नहीं मिल रहा।
यह घटना दिखाती है कि कैसे चीन अपने आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए किसी देश की अस्थिरता का फायदा उठाने से भी नहीं हिचकता, भले ही इसके लिए उसे हथियारबंद समूहों का सहारा क्यों न लेना पड़े।