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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा और मानवीय फैसला लिया है। पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है) से विस्थापित होकर आए हजारों परिवारों को अब उस 'आबादी' यानी रिहायशी भूमि का मालिकाना हक मिलेगा, जिस पर वे दशकों से बसे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं।

यह फैसला उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है जो भारत-पाकिस्तान विभाजन (1947) और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971) के दौरान विस्थापित होकर भारत आए थे। सरकार ने उन्हें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों, खासकर लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सीतापुर और बहराइच जैसे क्षेत्रों में बसाया था। हालांकि, इतने सालों तक उनके पास अपनी जमीन का कानूनी मालिकाना हक नहीं था, जिसके कारण वे कई सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।

मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद अब इन परिवारों को न केवल अपनी संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिलेगा, बल्कि वे उसे बेच या हस्तांतरित भी कर सकेंगे। इसके अलावा, वे प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी आवास योजनाओं और अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी उठा पाएंगे, जो अब तक उन्हें नहीं मिल पा रहा था।

इस प्रक्रिया के तहत, सबसे पहले इन विस्थापित परिवारों की पहचान और सत्यापन किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें उनकी आबादी भूमि का 'मालिकाना हक' (प्रॉपर्टी राइट्स) प्रदान किया जाएगा। यह कदम इन परिवारों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करता है और उन्हें समाज की मुख्यधारा में पूरी तरह शामिल करने में मदद करेगा। यह निर्णय योगी सरकार की वंचित और उपेक्षित समुदायों के प्रति संवेदनशीलता और उनके सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।