
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सारस सर्किट बनाने की योजना तैयार की जा रही है। इस पहल के लिए ईको टूरिज्म विकास बोर्ड ने तकनीकी समिति बनाने का निर्णय लिया है। इसमें पर्यावरण और पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे।
इस सर्किट का मकसद सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि प्रदेश की जैव विविधता और प्राकृतिक धरोहर को लोगों से जोड़ना है। बोर्ड चाहता है कि पर्यटक अलग-अलग जगहों की खासियत को करीब से देखें और यहां की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव कर सकें।
सारस सर्किट में शामिल क्षेत्र
इस योजना के तहत रायबरेली का समसपुर पक्षी विहार, आगरा का सूर सरोवर (कीठम झील) पक्षी विहार और चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य को जोड़ा जाएगा।
समसपुर पक्षी विहार करीब 780 हेक्टेयर में फैला है।
सूर सरोवर पक्षी विहार का क्षेत्रफल 400 हेक्टेयर है।
वहीं चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य 5,400 वर्ग किलोमीटर के बड़े इलाके में फैला हुआ है।
मैनपुरी क्षेत्र तो वैसे भी प्राचीन समय से ही सारस पक्षियों का प्रमुख ठिकाना माना जाता रहा है। खासकर किशनी और करहल ब्लॉक में इनकी सबसे ज्यादा संख्या पाई जाती है। यही वजह है कि कुछ साल पहले तत्कालीन सीडीओ ईशा प्रिया ने सारस सर्किट की शुरुआत कराई थी। उस दौरान वेटलैंड्स को कब्जे से मुक्त कराया गया, मनरेगा के तहत खोदाई और वॉच टावर का निर्माण कराया गया और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सर्किट का बोर्ड भी लगाया गया।
अब इसे और विस्तार देते हुए इन प्रमुख अभ्यारण्यों और विहारों को जोड़कर एक संगठित सारस सर्किट बनाया जाएगा।
प्रचार और जागरूकता अभियान
सारस सर्किट को लोकप्रिय बनाने के लिए हवाई अड्डों और प्रमुख मार्गों पर सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे। साथ ही पक्षी प्रेमियों का डेटा एकत्र कर उनके बीच इस सर्किट का प्रचार होगा। स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों के समूहों को भी यहां लाने और जागरूक करने की योजना है, ताकि नई पीढ़ी पर्यावरण और पक्षियों के महत्व को समझ सके।