Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) द्वारा हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट ने रक्षा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। इस रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' चला रहा था, तब चीन चुप नहीं बैठा था। चीन ने युद्ध में सीधे तौर पर भाग लिए बिना 'ग्रे-ज़ोन युद्ध' की मदद से गुपचुप तरीके से पाकिस्तान का समर्थन किया था। यह रिपोर्ट भारत के लिए एक नई सुरक्षा चेतावनी की तरह है।
युद्ध के मैदान में पाकिस्तान और पर्दे के पीछे चीन
जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, तब पाकिस्तान बेहद संकट में था और उसके हथियार खत्म हो रहे थे। हालांकि, संघर्ष युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ और पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब, सात महीने बाद, पेंटागन की एक रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि उस समय भारतीय सेना न केवल पाकिस्तान से लड़ रही थी, बल्कि परोक्ष रूप से चीन से भी लड़ रही थी। चीन ने अपनी सेना भेजने के बजाय, प्रौद्योगिकी और सूचना के माध्यम से परोक्ष रूप से पाकिस्तान की मदद की।
चीन की 'ग्रे-ज़ोन' रणनीति: उपग्रहों से लेकर साइबर हमलों तक
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान की मदद के लिए एक नया 'हाइब्रिड' मॉडल अपनाया। जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सीधे तौर पर ज़मीन पर मौजूद नहीं थी, लेकिन भारत पर निम्नलिखित तीन मुख्य तरीकों से दबाव बनाया गया:
खुफिया सहायता: चीन ने अपने अत्याधुनिक उपग्रह नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली के माध्यम से भारत की गतिविधियों पर वास्तविक समय में नज़र रखी। यह जानकारी पाकिस्तान को दी गई ताकि वे भारतीय हमलों को लक्षित कर सकें और उनसे बचाव कर सकें।
सूचना युद्ध: चीन ने भारत के अंतरराष्ट्रीय दावों को कमजोर करने और नई दिल्ली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए एक ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान चलाया। इसने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण को फैलाने का भी प्रयास किया।
साइबर और राजनयिक रणनीति : चीन ने भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने के लिए साइबर हमलों और राजनयिक चैनलों का इस्तेमाल किया, ताकि भारत संघर्ष को और न बढ़ाए।
भारत को घेरने की रणनीति और 'प्रेशर वाल्व'
पेंटागन का मानना है कि भारत चीन के लिए एक बड़ी रणनीतिक चुनौती है। चीन, भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को रोकने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल "दबाव बनाने वाले यंत्र" के रूप में करता है। चीन ने ऑपरेशन सिंदूर को अपनी हाइब्रिड युद्ध रणनीति के परीक्षण के रूप में देखा। अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच एलएसी पर हुआ समझौता भी चीन की एक चाल हो सकती है ताकि भारत अमेरिका के बहुत करीब न आ सके। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अब भारत को भविष्य में पाकिस्तान और चीन से संयुक्त "हाइब्रिड" खतरे के लिए तैयार रहना होगा।
'ऑपरेशन सिंदूर' क्या था?
इस संघर्ष की पृष्ठभूमि अप्रैल 2025 में तैयार हुई। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक क्रूर आतंकवादी हमले में 26 नागरिक मारे गए। इसके जवाब में, भारत ने 7 मई 2025 से 10 मई 2025 तक 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस चार दिवसीय अभियान में, भारत ने हवाई हमलों और मिसाइलों के माध्यम से पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। पाकिस्तान ने इन हमलों को नागरिक क्षेत्रों पर हमला बताया, लेकिन अंततः इस सीमित युद्ध में भारत को निर्णायक जीत मिली।




