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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार करने में जुट गई है। अब सिर्फ पारंपरिक शिक्षा नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी और डेटा एनालिसिस जैसे उभरते क्षेत्रों के साथ-साथ कृषि और हस्तशिल्प जैसे परंपरागत क्षेत्रों में भी युवाओं को दक्ष बनाया जा रहा है।

इस मुहिम के तहत युवाओं को देश-विदेश की प्रतिष्ठित संस्थाओं और विशेषज्ञों से उच्च गुणवत्ता वाली ट्रेनिंग दी जा रही है। जहां ज़रूरत हो, वहां सरकार युवाओं को विदेश भेजकर प्रशिक्षण भी दिला रही है।

हाल ही में भारत आए विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उत्तर प्रदेश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं की सराहना की। इसी प्रेरणा से राज्य सरकार अब टाटा समूह के सहयोग से सरकारी आईटीआई संस्थानों को आधुनिक रूप देने में जुट गई है। अब तक 149 आईटीआई अपग्रेड हो चुके हैं और 60 अन्य पर काम जारी है।

सरकार की यह पहल अब पॉलिटेक्निक कॉलेजों तक भी पहुंच रही है। पहले चरण में 45 कॉलेजों का चयन हुआ है जहां छात्रों को आधुनिक मशीनों और तकनीकों जैसे एआई और रोबोटिक्स की शिक्षा दी जाएगी।

प्रदेश में 'एआई प्रज्ञा' नामक एक विशेष योजना के तहत 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को तकनीक के ज़रिये आधुनिक बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से 'यूपी एग्रीज योजना' चलाई जा रही है। इसमें 10 लाख किसानों को उन्नत खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी और 500 किसानों को विदेश में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

यह पूरा कार्यक्रम राज्य के कई विभागों – कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और राजस्व – के तालमेल से संचालित हो रहा है।

अब तक सरकार की कोशिशों का असर साफ नज़र आ रहा है। आईटीआई और कौशल विकास मिशन के ज़रिये 25 लाख युवाओं को ट्रेनिंग मिल चुकी है, जिनमें से 10.20 लाख युवाओं को रोजगार भी मिला है।

इसके अलावा पारंपरिक कामगारों को ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के अंतर्गत प्रशिक्षण और टूलकिट दिए गए हैं, जिससे 3.68 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित हो चुके हैं। 'स्वरोजगार संगम योजना' के अंतर्गत भी 22 हजार से अधिक युवाओं को स्वरोजगार के लिए तैयार किया गया है।

प्रदेश में वर्तमान में 96 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां हैं और सरकार का उद्देश्य है कि इन इकाइयों की ज़रूरतों के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए, जिससे न सिर्फ राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हो, बल्कि युवाओं का भविष्य भी उज्जवल हो।