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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक दिन बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौट रहे हैं। आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि वह कैसे आएंगे? उनका अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर कैसे उतरेगा? उसकी गति क्या होगी? हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

अंतरिक्ष यात्रा पर गए भारत के सुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर लौट रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्सियम-4 मिशन पर अपडेट देते हुए बताया कि 14 जुलाई को शाम 4.30 बजे अनडॉकिंग होगी और संभव है कि सुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे के आसपास धरती पर उतरें। ऐसे में आपके मन में भी सवाल होगा कि सुभांशु शुक्ला धरती पर कैसे लौटेंगे, कौन सा रॉकेट, कितनी स्पीड होगी, लैंडिंग कैसे होगी? हम हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं।

अंतरिक्ष यात्रा पर गए भारत के सुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर लौट रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्सियम-4 मिशन पर अपडेट देते हुए बताया कि 14 जुलाई को शाम 4.30 बजे अनडॉकिंग होगी और संभव है कि सुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे के आसपास धरती पर उतरें। ऐसे में आपके मन में भी सवाल होगा कि सुभांशु शुक्ला धरती पर कैसे लौटेंगे, कौन सा रॉकेट, कितनी स्पीड होगी, लैंडिंग कैसे होगी? हम हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं।

आईएसएस से अनडॉकिंग: क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अलग (अनडॉक) होगा। इसे अनडॉकिंग कहते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है, लेकिन चालक दल द्वारा इसकी निगरानी की जाती है।

आईएसएस से अनडॉकिंग: क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अलग (अनडॉक) होगा। इसे अनडॉकिंग कहते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है, लेकिन चालक दल द्वारा इसकी निगरानी की जाती है।

पुनः प्रवेश की तैयारी: जैसे ही यह अलग होगा, कैप्सूल धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर बढ़ेगा। फिर कैप्सूल की गति धीमी करने के लिए एक रॉकेट दागा जाएगा। इसे रेट्रोग्रेड बर्न कहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में प्रवेश कर सके।

पुनः प्रवेश की तैयारी: जैसे ही यह अलग होगा, कैप्सूल धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर बढ़ेगा। फिर कैप्सूल की गति धीमी करने के लिए एक रॉकेट दागा जाएगा। इसे रेट्रोग्रेड बर्न कहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में प्रवेश कर सके।

वायुमंडलीय प्रवेश: जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, उसे तीव्र ऊष्मा और घर्षण का सामना करना पड़ेगा। इस समय, कैप्सूल की गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो नीचे उतरते समय धीरे-धीरे कम होती जाएगी।

वायुमंडलीय प्रवेश: जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, उसे तीव्र ऊष्मा और घर्षण का सामना करना पड़ेगा। इस समय, कैप्सूल की गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो नीचे उतरते समय धीरे-धीरे कम होती जाएगी।

पैराशूट का परिनियोजन: वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद, पहले छोटे और फिर मुख्य पैराशूट परिनियोजन किए जाते हैं, जिससे अंतरिक्ष यान की गति धीमी हो जाती है और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है। नासा के अनुसार, अगर मौसम अच्छा रहा, तो वे कैलिफ़ोर्निया तट के पास पानी में उतरेंगे। नासा इसका सीधा प्रसारण करेगा।

पैराशूट का परिनियोजन: वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद, पहले छोटे और फिर मुख्य पैराशूट परिनियोजन किए जाते हैं, जिससे अंतरिक्ष यान की गति धीमी हो जाती है और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है। नासा के अनुसार, अगर मौसम अच्छा रहा, तो वे कैलिफ़ोर्निया तट के पास पानी में उतरेंगे। नासा इसका सीधा प्रसारण करेगा।

समुद्री लैंडिंग: क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान आमतौर पर अटलांटिक या मेक्सिको की खाड़ी में समुद्री लैंडिंग करता है। स्पेसएक्स की रिकवरी टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुँचती है और कैप्सूल को यान पर चढ़ाकर चालक दल के सदस्यों को बाहर निकालती है। वे ड्रैगन अंतरिक्ष यान में 580 पाउंड (करीब 263 किलोग्राम) वैज्ञानिक उपकरण ला रहे हैं। इसमें नासा के हार्डवेयर और 60 से ज़्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा होगा। ये सभी प्रयोग अंतरिक्ष में किए गए थे।

समुद्री लैंडिंग: क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान आमतौर पर अटलांटिक या मेक्सिको की खाड़ी में समुद्री लैंडिंग करता है। स्पेसएक्स की रिकवरी टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुँचती है और कैप्सूल को यान पर चढ़ाकर चालक दल के सदस्यों को बाहर निकालती है। वे ड्रैगन अंतरिक्ष यान में 580 पाउंड (करीब 263 किलोग्राम) वैज्ञानिक उपकरण ला रहे हैं। इसमें नासा के हार्डवेयर और 60 से ज़्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा होगा। ये सभी प्रयोग अंतरिक्ष में किए गए थे।

वापसी में कितना समय लगेगा? अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से उतरने से लेकर अंतरिक्ष में उतरने तक लगभग 12-16 घंटे लगेंगे। पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश के दौरान, इसकी गति 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो घटकर लगभग 24 किमी/घंटा हो जाएगी।

वापसी में कितना समय लगेगा? अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से उतरने से लेकर अंतरिक्ष में उतरने तक लगभग 12-16 घंटे लगेंगे। पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश के दौरान, इसकी गति 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो घटकर लगभग 24 किमी/घंटा हो जाएगी।