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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बगहा में कानून से ऊपर पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। फलीम अंसारी हत्याकांड के मामले में कोर्ट ने कई बार आदेश जारी किए, लेकिन पुलिस अधिकारी गवाही के लिए 17 वर्षों से हाज़िर नहीं हो रहे हैं। यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब पटना हाई कोर्ट पहले ही इस केस को जल्दी निपटाने का आदेश दे चुका है।

जिला जज चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र की अदालत में सुनवाई के दौरान सामने आया कि अब तक अभियोजन पक्ष एक भी पुलिस गवाह को पेश नहीं कर पाया है। कोर्ट ने बेतिया के पुलिस उप महानिरीक्षक को निर्देश दिया है कि वे पुराने मामलों में गवाहों को पेश कराने की जिम्मेदारी लें, ताकि हाई कोर्ट के आदेश का पालन हो सके।

कोर्ट ने अभियोजन को अंतिम मौका देते हुए 6 जून को अगली तारीख तय की है। न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अभियोजन और पुलिस अधिकारी हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर मामलों में अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे। कई मामलों में वर्षों से गवाह सामने नहीं आए हैं।

रक्षा पक्ष के वकील ने बताया कि यह केस 22 साल पुराना है। 4 अगस्त 2008 से यह मामला गवाहों के इंतज़ार में अटका है। ठकराहा थाना के तत्कालीन दरोगा निसार अहमद, भीतहा ओपी के प्रभारी दिनेश्वर प्रसाद, कामेश्वर प्रसाद, योगेंद्र रजक और शमशेर सिंह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुके हैं, फिर भी ये पुलिसकर्मी कोर्ट में हाज़िर नहीं हो रहे।

पीड़िता तेमुला खातून 2003 से न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं। उनके पति फलीम अंसारी की हत्या के मामले में छह लोगों को नामजद किया गया था। कोर्ट ने पहले भी बगहा पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर निर्देश दिए कि बाकी बचे पुलिस गवाहों को कोर्ट में पेश किया जाए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पटना हाई कोर्ट ने इस केस को 2018 में जल्द निपटाने का आदेश दिया था, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। अब कोर्ट अभियोजन पक्ष को अंतिम मौका दे रही है। यदि अगली तारीख तक गवाह नहीं पेश हुए तो साक्ष्य की प्रक्रिया समाप्त कर दी जाएगी।