img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आने वाले दिनों में भारतीय वायुसेना और नौसेना तेज़ी से मज़बूत होने वाली हैं। अगले कुछ हफ़्तों में एक बड़ा रक्षा सौदा होने वाला है। सरकार राफेल के साथ-साथ अन्य विमानों की ख़रीद पर भी आगे बढ़ रही है। इसमें 114 राफेल जेट, छह अतिरिक्त P-8I विमान और 113 F-404 इंजन शामिल हैं। मिग-21 स्क्वाड्रन के हटने के बाद, भारतीय वायुसेना की संख्या घटकर 29 स्क्वाड्रन रह जाएगी, जिससे यह ख़रीद और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय को वायुसेना से 114 मेड-इन-इंडिया राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव मिला है। इस सौदे की अनुमानित लागत लगभग ₹2 लाख करोड़ (लगभग 2 लाख अमेरिकी डॉलर) है। 60 प्रतिशत से ज़्यादा पुर्जे स्वदेशी होंगे। इस परियोजना में फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करेगी।

राफेल हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस होंगे।
भारत के पास अभी 36 राफेल विमान हैं। नौसेना के लिए 36 और विमानों का ऑर्डर दिया गया है। अगर यह सौदा पक्का हो जाता है, तो भारत के पास राफेल विमानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। दावा किया जाता है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल विमानों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें राफेल विमानों ने शानदार प्रदर्शन किया था और चीनी PL-15 मिसाइलों को धूल चटाई थी। भारत को मिलने वाले नए विमान हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस होंगे।

भारत को नए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत क्यों है?
भारतीय वायु सेना 1963 से मिग-21 विमानों का इस्तेमाल कर रही है, और अब ये पुराने हो चुके हैं। इससे दुर्घटनाओं का ख़तरा बढ़ जाता है। आखिरी स्क्वाड्रन इसी साल 26 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाला है। इसके बाद, वायु सेना के पास केवल 29 लड़ाकू स्क्वाड्रन ही बचेंगे, जबकि ज़रूरत 42 की है।

इस सौदे से भारतीय वायु सेना को और मज़बूती मिलेगी। इसने पहले ही सुखोई-30 एमकेआई और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए के ऑर्डर दे दिए हैं। उम्मीद है कि 2035 तक उसे स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिल जाएँगे।