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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में नशे से जुड़े मामलों पर सुनवाई करते हुए बेहद अहम टिप्पणी की है। अदालत ने राज्य सरकारों को साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को झूठे केस में न फंसाया जाए।

जस्टिस संदीप मौदगिल की बेंच में कई जिलों – लुधियाना, फाजिल्का, मुक्तसर साहिब, अमृतसर और जालंधर – से जुड़े मामले रखे गए थे। आरोपित पक्ष ने दलील दी कि बड़ी संख्या में दर्ज हो रही FIRs में बरामदगी संदिग्ध है। केवल पिछले 6 महीनों में पंजाब में 2107 NDPS मामले दर्ज हुए, जिनमें से अधिकांश में गोलियां और कैप्सूल बिना बैच नंबर और एक्सपायरी डेट के मिले।

इन परिस्थितियों ने यह आशंका और गहरा दी कि कहीं पुलिस अधिकारियों द्वारा झूठी बरामदगी तो नहीं दिखाई जा रही। खासतौर पर इसलिए क्योंकि अधिकारियों को ज़्यादा केस दर्ज करने पर इनाम देने की बात बैठकों में उठाई गई थी।

सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल पंजाब ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग नशे के खिलाफ लड़ाई को निष्पक्ष और सख्ती से आगे बढ़ाएंगे। हरियाणा सरकार ने भी स्पष्ट किया कि FIR दर्ज करना केवल नशे पर लगाम लगाने के उद्देश्य से है, न कि आंकड़े बढ़ाने या दिखावटी सफलता दिखाने के लिए।

हरियाणा ने अदालत को बताया कि निर्दोष लोगों को निशाना बनाने की कोई नीति नहीं है और इस बारे में पुलिस अधिकारियों को पहले ही चेताया जा चुका है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नशे की समस्या बेहद गंभीर है और कानून का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। लेकिन इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

कोर्ट ने पुलिस को हिदायत दी कि कार्रवाई करते समय पूरी सावधानी बरतें और सुनिश्चित करें कि न कोई झूठी बरामदगी हो और न ही गलत गिरफ्तारी।

अंत में, अदालत ने याचिकाओं को निपटाते हुए कहा कि सरकार ने पर्याप्त आश्वासन दिया है, इसलिए फिलहाल अतिरिक्त हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर भविष्य में निर्दोष लोगों के उत्पीड़न की शिकायत मिली तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जाएगा।